सोनपुर साहित्योत्सव 2025: साहित्य, कला और चिंतन का दो दिवसीय महोत्सव सम्पन्न
सारण (बिहार): सोनपुर मेला परिसर में आयोजित दो दिवसीय सोनपुर साहित्योत्सव 2025 बुधवार को अत्यंत गरिमामय वातावरण में सफलतापूर्वक संपन्न हो गया। 26 और 27 नवंबर को आयोजित इस साहित्यिक महोत्सव में देश-प्रदेश के प्रतिष्ठित साहित्यकारों, युवा रचनाकारों, शिक्षाविदों और साहित्य-प्रेमियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। पूरा परिसर शब्दों, विचारों और रचनात्मकता के अद्भुत संगम से सराबोर रहा।
कार्यक्रम का शुभारंभ जिला पदाधिकारी अमन समीर द्वारा दीप प्रज्वलन से हुआ। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि साहित्यिक चेतना व्यक्तित्व निर्माण और सामाजिक दायित्वबोध के लिए अनिवार्य है। उन्होंने सोनपुर मेले की परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन नई पीढ़ी को पुस्तकों और रचनात्मक जगत से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इस वर्ष सोनपुर मेले में भव्य पुस्तक मेला भी लगाया गया है, जिसका उद्देश्य साहित्यिक संस्कृति को और मजबूत करना है।
साहित्योत्सव के दौरान साहित्य के सामाजिक दायित्व, रचनात्मक अभिव्यक्ति की भूमिका और समाज में साहित्य की प्रासंगिकता पर अनेक मार्मिक और विचारोत्तेजक संबोधन हुए। विभिन्न सत्रों में सोनपुर मेले का इतिहास, साहित्य में लोक संस्कृति, बिहार का इतिहास और पुरातात्विक धरोहर, बिहार की साहित्यिक विरासत तथा ‘एआई के दौर में किताबों का महत्व’ जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तृत विमर्श हुआ।
कवि अरुण कमल के साथ विशेष संवाद, लेखक संतोष दीक्षित और शिवदयाल से उनके रचनात्मक सफर पर बातचीत, साथ ही श्रेष्ठ कवियों द्वारा भावपूर्ण कविता-पाठ और शायरों द्वारा ग़ज़ल प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस महोत्सव में शामिल प्रमुख साहित्यकारों और विद्वानों में अरुण कमल, रत्नेश्वर सिंह, डॉक्टर शिवनारायण, संतोष दीक्षित, शिवदयाल, भैरव लाल दास, संतोष सिंह, अरुण सिंह, पृथ्वी राज सिंह, रविशंकर उपाध्याय, डॉक्टर उज्ज्वल कुमार, पुष्यमित्र, डॉक्टर विमलेंदु, उत्कर्ष आनंद, भगवती प्रसाद द्विवेदी, भावना शेखर, जयप्रकाश, कृष्ण समिध, अनिश अंकुर, डॉक्टर मुसाफ़िर बैठा, समीर परिमल, संजय कुंदन, अविनाश बंधु, चन्द्रबिन्द, अंचित अविनाश भारती, राकेश रंजन और अनिरुद्ध सिन्हा जैसी विभूतियाँ शामिल रहीं।
अपर समाहर्ता मुकेश कुमार तथा जिला अवर निबंधक गोपेश कुमार चौधरी भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
दो दिनों तक चले इस साहित्यिक उत्सव ने सोनपुर मेले को सांस्कृतिक और रचनात्मक ऊंचाई के नए आयाम दिए तथा साहित्यप्रेमियों को एक समृद्ध अनुभव प्रदान किया।
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