सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा – सिसवन, कचनार
सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का समापन, विशाल भंडारा का भी हुआ आयोजन
कथा का आयोजन और भंडारा
साध्वी प्रियंका शास्री ने भागवत का महत्व समझाया
भागवत कथा के प्रमुख सन्देश
उपस्थित श्रद्धालु और सामाजिक सहभागिता
सिवान (बिहार): प्रखंड के कचनार के पूरव टोला जठिया पोखरा में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का समापन भव्य भंडारे के साथ हुआ। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया और कथा का लाभ उठाया।
कथा का संचालन साध्वी प्रियंका शास्री ने किया। उन्होंने भागवत पुराण के महत्व, भक्ति, ज्ञान और जीवन में इसके प्रभाव के बारे में विस्तार से बताया। सुबह वैदिक मंत्रोच्चार और हवन पूजन के साथ भंडारे की शुरुआत की गई।
साध्वी प्रियंका शास्री ने कहा कि भागवत कथा सुनने या सुनाने वाले व्यक्ति को कृष्ण की शुद्ध प्रेमपूर्ण भक्ति प्राप्त होती है। उन्होंने भागवत के चार अक्षरों का अर्थ भी समझाया: भा से भक्ति, ग से ज्ञान, व से वैराग्य और त से त्याग। इसके अलावा, उन्होंने भागवत के छह प्रश्न, निष्काम भक्ति, 24 अवतार, नारदजी का पूर्व जन्म और परीक्षित जन्म सहित महत्वपूर्ण कथाओं का भावपूर्ण वर्णन किया।
कथा के दौरान जीवन की अंतिम बेला में दादा भीष्म गोपाल का अद्भुत देहत्याग और परीक्षित को श्राप लगने तथा भगवान शुकदेव द्वारा उन्हें मुक्ति प्रदान करने की कथाएँ सुनाई गईं। साध्वी ने कहा कि भागवत कथा श्रवण करने वाले का जीवन हमेशा सुखी और सकारात्मक रहता है।
इस भव्य आयोजन में नकुल सिंह, अजीत उपाध्याय, विकास सिंह, अनील सिंह सहित कई श्रद्धालु उपस्थित रहे। कार्यक्रम ने गाँव और आसपास के हजारों लोगों को जोड़कर धार्मिक और सांस्कृतिक चेतना का संदेश दिया।
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