दार्जिलिंग की पहाड़ियों में भी छठ की आस्था का जादू, हजारों बिहारियों ने दी सूर्य देव को अर्घ्य
दार्जिलिंग: लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा की भक्ति अब सीमाओं को लांघ चुकी है। बिहार की धरती से उठी यह परंपरा अब पहाड़ों में भी पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई जा रही है। दार्जिलिंग जिले के कालिम्पोंग सब-डिवीजन स्थित गोरुवथान झील नदी के किनारे सोमवार की शाम डूबते सूर्य को और मंगलवार की सुबह उदयीमान सूर्य को हजारों की संख्या में मौजूद बिहारी महिलाएं और पुरुषों ने अर्घ्य अर्पित किया।
इस दौरान व्रतियों ने पारंपरिक परिधान में छठ मईया के गीतों के बीच पूजन-अर्चना की और परिवार की सुख-समृद्धि व बिहार की उन्नति की कामना की। चारों ओर ‘छठ मईया के जयकारे’ और ‘केरवा जे फरेला घवद से ओह पर सुगा मेड़राय...’ जैसे लोकगीतों की गूंज से पूरा घाट भक्तिमय माहौल में डूब गया।
स्थानीय निवासी अरुण सिंह ने बताया कि “छठ महापर्व अब केवल बिहार तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पहाड़ी इलाकों में भी इसकी गूंज सुनाई दे रही है। कालिम्पोंग के हील एरिया में भी महिलाओं और पुरुषों ने पूरी श्रद्धा से पूजा की।” उन्होंने कहा कि नेपाली भाषी स्थानीय लोगों में भी इस पर्व के प्रति गहरी जिज्ञासा और आकर्षण देखा गया, और बड़ी संख्या में लोग घाट पर पूजा देखने पहुंचे।
इस अवसर पर वीरेंद्र सिंह, रामजी प्रसाद, जवाहर प्रसाद, तनिष कुमार सिंह सहित सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे। आयोजन स्थल पर छठ व्रतियों की सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने के लिए स्थानीय समिति और स्वयंसेवकों की टीम सक्रिय रही।
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