मंत्र : ऊर्जा का विज्ञान
मंत्र केवल ध्वनि नहीं, बल्कि ऊर्जा का विज्ञान हैं। मंत्रों का उच्चारण करने से एक विशेष प्रकार की ध्वनि तरंग उत्पन्न होती है। यह तरंग हमारे मस्तिष्क की तरंगों से जुड़कर शांति, एकाग्रता और सकारात्मकता को जन्म देती है। ये आत्मा को ऊँचा उठाते हैं। मन को स्थिर करते हैं और संतुलित बनाते हैं। शरीर में स्वास्थ्य वृद्धि और जीवन को संरक्षण देते हैं।
भारतीय दर्शन में मंत्र केवल शब्द नहीं, बल्कि ध्वनि-ऊर्जा (sound energy) के रूप में देखा गया है। ऋषियों ने अपने तप और ध्यान से जो दिव्य ध्वनियाँ सुनीं, वे ही मंत्र कहलाए। इन ध्वनियों में निहित स्पंदन (vibrations) मनुष्य के मन, प्राण और आत्मा को शुद्ध करते हैं। स्वामी विवेकानन्द के शब्दों में- “मंत्र जप से मनोबल बढ़ता है, और आत्मा में सुप्त दिव्य शक्तियाँ जागृत होती हैं।” शंकराचार्य का कथन है- “मंत्र शरीर और आत्मा को जोड़ने वाली कड़ी है।” मंत्र जप केवल आध्यात्मिक नहीं बल्कि उपचार और संरक्षण की क्षमता भी रखते हैं। कुछ प्रमुख मंत्र जीवन में आत्मिक विकास हेतू अनुकरणीय बताए गए हैं जैसे- ॐ (प्रणव मंत्र)- “ॐ” का उच्चारण मस्तिष्क को शांत करता है, हृदय की धड़कनों को संतुलित करता है और समस्त ब्रह्मांड से जुड़ने का अनुभव देता है। आत्मज्ञान के साथ साथ यह बहुत से मंत्रों का स्रोत भी है। पतंजलि योगसूत्र (ॐ के संदर्भ में): “तस्य वाचकः प्रणवः” ब्रह्म का प्रतीक ही ॐ है।
शिव मंत्र “ॐ नमः शिवाय” -आत्मशुद्धि, शांति और ईश्वर से एकत्व के लिए। “ऊं त्रयम्बकं..” महामृत्युंजय मंत्र का जाप रोग से मुक्ति, आयु-वृद्धि और संकट निवारण के उद्देश्य से किया जाता है। गायत्री मंत्र “ॐ भूर्र भुव: स्व:..” यह मंत्र बुद्धि की ज्योति प्रकट करता है और अज्ञान को मिटाता है। श्री लक्ष्मी मंत्र “हरिः ॐ हिरण्यवर्णां..” समृद्धि, सौभाग्य और सकारात्मकता के लिए और हनुमान मंत्र साहस, भय-निवारण और शत्रु पर विजय प्राप्ति के लिए पढ़े जातें हैं।
आधुनिक वैज्ञानिक भी मानते हैं कि मंत्रों की तंरगें शरीर की (इम्युनिटी) प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती हैं। महान संतों के अनुसार मंत्र की व्याख्या इस प्रकार दी गई है-
याज्ञवल्क्य ऋषि: “मंत्र वही है जो मन को त्राण दे, अर्थात् मन को भय, चिंता और दुःख से मुक्ति दिलाए।”
रामकृष्ण परमहंस: “मंत्र का जप बीज बोने जैसा है। निरंतरता से किया गया जप एक दिन फल अवश्य देता है।”
महात्मा गाँधी: “राम नाम का जप मेरी आत्मा की रक्षा करता है और मुझे अदम्य साहस देता है।”
जिस प्रकार दीपक अंधकार दूर करता है, उसी प्रकार मंत्र जप अज्ञान, भय और दुर्बलता को दूर कर मनुष्य को बल, शांति और आत्मज्ञान की ओर ले जाता है। यह बहुत आवश्यक है कि इनका अभ्यास कल्याण एवं जीवन के विकास के लिए ही किया जाना चाहिए, उसी में मंत्रों के देव की प्रसन्नता व कृपा प्राप्त होती है।