गुरु नानक ने दिया समाज को समता और सदाचार का संदेश
✍️ राजीव कुमार झा
आज गुरु नानक देव जयंती है। वह हमारे देश के महापुरुष हैं और उन्होंने समाज को समता सदाचार सेवा सद्भाव का संदेश दिया। गुरु नानक के अनुयायी कालांतर में सिक्ख धर्म के रूप में संगठित हुए और उन्होंने आततायी मुगल बादशाहों के खिलाफ संघर्ष किया। गुरु अर्जुन देव और गुरु तेग बहादुर सिक्ख धर्म के इन महान गुरुओं को बलिदान से हमारे देश में गुलामी के विरुद्ध देशवासियों के संघर्ष का एक नया युग शुरू हुआ। गुरु नानक की जन्मस्थली तलवंडी अब पाकिस्तान में है। उनका जन्म एक खत्री परिवार में हुआ था और उनकी बाल्यावस्था की कई कहानियां प्रसिद्ध हैं। इन कहानियों में पिता के द्वारा खरे सौदे की खरीदारी के लिए बाल्य काल में उनको दिए पैसों से बाजार में पधारे भूखे साधु
संतों को गुरु नानक के द्वारा भोजन करा देने की यह कहानी अत्यंत प्रसिद्ध है। गुरु नानक का विवाह भी हुआ लेकिन सांसारिक जीवन में उनका मन रम नहीं पाया और वह संन्यास धारण करके भ्रमण के लिए निकल पड़े। गुरु नानक ने जातिप्रथा और वर्ण व्यवस्था को अस्वीकार किया और सबको एक साथ बिना किसी भेदभाव के खाने - पीने का संदेश दिया। सिक्ख गुरुद्वारे में इसीलिए लंगर में सारे लोग एक साथ लंगर में बैठकर प्रसाद ग्रहण करते हैं।