सेवा पर्व 2025: "एक पेड़ मां के नाम" अभियान के तहत सारण में विशेष पौधारोपण कार्यक्रम
सारण में सेवा पर्व 2025 के दौरान "एक पेड़ मां के नाम" अभियान के तहत ठाकुरबाड़ी महिला विकास कल्याण समिति में विशेष पौधारोपण और पौधा वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया। डॉ. अंजू सिंह ने पर्यावरण संरक्षण और मातृत्व सम्मान पर जोर दिया।
सारण (बिहार): बिहार सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा सेवा पर्व (17 सितंबर से 2 अक्टूबर 2025) के अवसर पर चलाए जा रहे "एक पेड़ मां के नाम" अभियान के तहत साधनापुरी मोहल्ला स्थित ठाकुरबाड़ी महिला विकास कल्याण समिति में विशेष पौधारोपण एवं पौधा वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना है, बल्कि मातृत्व के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करना भी है।
इस अवसर पर संस्था की संस्थापिका डॉ. अंजू सिंह ने कहा कि यह अभियान केवल पौधे लगाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारी मां और प्रकृति दोनों के प्रति हमारी संवेदनशीलता और संस्कार का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि जब हम किसी वृक्ष को अपनी मां के नाम समर्पित करते हैं, तो वह भावनात्मक और सामाजिक जिम्मेदारी का प्रतीक बन जाता है।
कार्यक्रम में विभिन्न प्रकार के फलदार और छायादार पौधों का रोपण किया गया, जिनमें आम, अमरूद, नीम, पीपल और गुलमोहर प्रमुख रहे। डॉ. अंजू सिंह ने यह भी कहा कि रोपे गए पौधों की नियमित देखभाल अत्यंत आवश्यक है, ताकि वे स्वस्थ और सफलतापूर्वक विकसित हो सकें। उन्होंने जिलेवासियों से अपील की कि वे भी इस अभियान में भाग लें और अपनी मां के नाम कम से कम एक पौधा अवश्य लगाएं, क्योंकि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए हरियाली और स्वच्छ वातावरण का संदेश होगा।
ठाकुरबाड़ी महिला विकास कल्याण समिति के सहयोग से संपन्न इस कार्यक्रम में संस्था के संरक्षक राजीव नारायण सिंह, संरक्षिका अंशु सिंह, पत्रकार धर्मेंद्र रस्तोगी, मणि शाही, रतनलाल, सद्दाम हुसैन, और पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के वनपाल अमन कुमार, अमित कुमार, पिंटू कुमार सहित संस्था के निःशुल्क सिलाई-कटाई प्रशिक्षण केंद्र की दर्जनों छात्राएं उपस्थित रहीं। वनपाल अमन कुमार ने बताया कि सारण जिले में सेवा पर्व के दौरान लगभग सात हज़ार से अधिक पौधारोपण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है और इसके लिए कुल 18 स्थलों का चयन किया गया है।
इस तरह "एक पेड़ मां के नाम" अभियान ने न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दिया, बल्कि मातृत्व सम्मान और सामाजिक जागरूकता का भी संदेश दिया।