श्रीमद्भागवत कथा में संत आनंद स्वरूप जी महाराज ने कहा – चरित्र निर्माण मानव जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि
सारण (बिहार) संवाददाता मनोज कुमार सिंह: चरित्र निर्माण को मानव जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि बताते हुए संत आनंद स्वरूप जी महाराज ने कहा कि चारित्रिक उत्थान की बदौलत ही मनुष्य सफल और सुखद जीवन प्राप्त करता है तथा मरणोपरांत निर्वाण की प्राप्ति होती है। वे मांझी प्रखंड के गुर्दाहाँ कला में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह के तीसरे दिन प्रवचन दे रहे थे।
संत आनंद स्वरूप जी महाराज ने कहा कि सद्गुरु का सानिध्य पाकर ही व्यक्ति अपने चरित्र का निर्माण कर सकता है। अपने चरित्र की आभा से वह न केवल स्वयं को संवारता है बल्कि अपनी संतान को भी चरित्रवान बनने की प्रेरणा देता है। उन्होंने बताया कि शुद्ध अंतःकरण से पूरे मनोयोग के साथ यदि कोई व्यक्ति सात दिन तक श्रीमद्भागवत में वर्णित महामंत्र “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जप करे तो उसे मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।
कथा मंच पर मांझी विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी राणा प्रताप सिंह ने कथावाचक को अंगवस्त्र से सम्मानित किया। इस अवसर पर प्रसिद्ध प्रवाचक सर्वानन्द शर्मा, आचार्य नागेन्द्र शुक्ल, गुरुचरण शर्मा, मदन यादव, विक्रमा शर्मा, प्रेम पुजारी और संत गोपालदास समेत सैकड़ों महिला और पुरुष श्रोता उपस्थित थे।