वह मुख्यमंत्री जिसने तीन साधु-संत और एक पत्रकार को बनाया सीधे मंत्री
पटना (बिहार): बिहार के राजनीतिक इतिहास में बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल यानी बीपी मंडल का नाम हमेशा याद रखा जाएगा। उन्होंने अपनी अनोखी राजनीति और साहसिक फैसलों से कई रिकॉर्ड बनाए।
बीपी मंडल ने पहली बार समाजवादी राजनीति में कांग्रेस के सहयोग से अपने ही दल में तोड़फोड़ करके मुख्यमंत्री का पद हासिल किया। उन्होंने अपनी सरकार में तीन साधु-संतों को मंत्री बनाया – महंत सुखदेव गिरी, महंत रामकिशोर दास और स्वामी विवेकानंद। इसके अलावा, उन्होंने पटना से प्रकाशित अंग्रेजी अखबार सर्चलाइट के सहायक संपादक शंभूनाथ झा को भी मंत्री बना दिया, जबकि वे न तो विधायक थे और न ही विधान पार्षद।
बीपी मंडल की यह अनोखी सोच और साहस जनता को हैरान कर देने वाला था। 1967 में, जब महामाया प्रसाद सिन्हा के नेतृत्व में पहली गैर-कांग्रेस सरकार बन रही थी, तब सांसद बीपी मंडल बिहार सरकार में मंत्री बनने के लिए अड़े। राममनोहर लोहिया ने इस पर विरोध जताया कि एक सांसद का राज्य सरकार में मंत्री बनना जनता के लिए गलत संदेश देगा। लेकिन बीपी मंडल अपनी जिद पर अड़े और छह महीने के भीतर विधानमंडल के सदस्य बने बिना स्वास्थ्य मंत्री बन गए।
बीपी मंडल की यह अनोखी राजनीतिक यात्रा न केवल उनके साहस को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि बिहार की राजनीति में समय-समय पर किस तरह के नायाब नेता सामने आते हैं।
Source: NBT