डेंगू व चिकनगुनिया जैसी बीमारियों से बचाव को लेकर दयानंद आयुर्वेद महाविद्यालय में चला जागरूकता अभियान!
आयुर्वेद के दृष्टिकोण से गिलोय, तुलसी, पपीता के पत्ते और हल्दी जैसी जड़ी- बूटियों का अहम योगदान: प्रो डॉ सुधांशु शेखर त्रिपाठी
जिलाधिकारी के दिशा- निर्देश में महामारी रोकथाम को लेकर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से अलर्ट: डॉ ओपी लाल
सिवान (बिहार): डेंगू और चिकनगुनिया मानसून के समय तेजी से फैलती हैं, क्योंकि इस मौसम में जलजमाव और साफ- सफाई की कमी मच्छरों के प्रजनन का कारण बनती है। उक्त बातें जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी (डीवीबीडीसीओ) डॉ ओम प्रकाश लाल ने शहर के दयानंद आयुर्वेद महाविद्यालय सह अस्पताल परिसर स्थित सभागार में आयोजित जागरूकता अभियान के दौरान कही। उन्होंने एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम में शामिल अध्ययनरत छात्र और छात्राओं सहित उपस्थित प्राध्यापकों से कहा कि
डेंगू और चिकनगुनिया जैसी मच्छर जनित बीमारियों से बचाव के लिए दयानंद आयुर्वेद महाविद्यालय सह अस्पताल में एक दिवसीय जागरूकता अभियान सह कार्यशाला का आयोजन किया गया है। क्योंकि आमजन को इन बीमारियों के लक्षण, कारण, बचाव और इलाज के प्रति जागरूक करना इसका मुख्य उद्देश्य है। जिलाधिकारी डॉ आदित्य प्रकाश के मार्ग दर्शन और सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद के दिशा- निर्देश में जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों के चिकित्सा पदाधिकारियों सहित अन्य विभागीय अधिकारियों को जल जनित बीमारियों से बचाव, कारण और उपचार से संबंधित आवश्यक दिशा- निर्देश दिया गया है। जिसमें जल- जमाव से उत्पन्न होने वाली बीमारियों के संभावित क्षेत्रों का पूर्व के अनुभव के आधार पर चिन्हित किया जा रहा है। क्योंकि अत्यधिक बरसात होने से जलजमाव के कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है, जिस कारण डेंगू, मलेरिया, कालाजार आदि महामारी का फैलाव तेजी से फैलने से एक बड़ी आबादी प्रभावित होती है।
आयुर्वेद के दृष्टिकोण से गिलोय, तुलसी, पपीता के पत्ते और हल्दी जैसी जड़ी- बूटियों का अहम योगदान: प्रो डॉ सुधांशु शेखर त्रिपाठी दयानंद आयुर्वेद महाविद्यालय सह अस्पताल के प्राचार्य प्रो डॉ सुधांशु शेखर त्रिपाठी ने कहा कि आयुर्वेद में इन बीमारियों से लड़ने की क्षमता वाले कई औषधीय पौधे और घरेलू नुस्खे मौजूद हैं, जिनका नियमित सेवन रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकता है। हालांकि डेंगू एक वायरल संक्रमण है, जो एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। इसके प्रमुख लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, बदन दर्द, आंखों के पीछे दर्द और त्वचा पर चकत्ते शामिल हैं। वहीं चिकनगुनिया में भी तेज बुखार के साथ जोड़ों में सूजन और दर्द प्रमुख लक्षण होते हैं, जो कई हफ्तों तक बने रह सकते हैं। लेकिन इन बीमारियों से बचाव के लिए हम सभी को अपने आसपास जलजमाव नहीं होने देना चाहिए, साथ ही सप्ताह में कम से कम एक बार पानी की टंकी को खाली कर सुखाना चाहिए, फुल बाजू के कपड़े पहनने चाहिए और मच्छरदानी या मच्छर भगाने वाले साधनों का प्रयोग करना चाहिए। साथ ही आयुर्वेदि के दृष्टिकोण से गिलोय, तुलसी, पपीता के पत्ते और हल्दी जैसी जड़ी-बूटियां डेंगू- चिकनगुनिया के लक्षणों में राहत प्रदान करती हैं। अंत में सभी प्रतिभागियों से अपील की गई कि आप सभी अपने घर और आस- पड़ोस को साफ रखें, मच्छर के प्रजनन को रोकें और किसी भी प्रकार से लक्षण के दिखने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर चिकित्सकीय परामर्श लेना नहीं भूलना है।
इस अवसर पर उप प्राचार्या डॉ राजा प्रसाद, पूर्व प्राचार्य डॉ प्रजापति त्रिपाठी, होमियोपैथी चिकित्सक सह उर्दू के प्रसिद्ध शायर डॉ असगर अली, डॉ उपेन्द्र पर्वत, डीवीबीडीसी नीरज कुमार सिंह, वीडीसीओ कुंदन कुमार, सिफार के डीपीसी धर्मेंद्र रस्तोगी, रेडियो स्नेही के डॉ मधुसूदन प्रसाद सहित महाविद्यालय के छात्र, छात्राएं सहित कई प्राध्यापक शामिल रहे।