प्राकृतिक खेती के महत्व पर विशेष जोर के साथ संपन्न हुआ विकसित कृषि संकल्प अभियान!
सारण (बिहार) संवाददाता वीरेश सिंह: कृषि विज्ञान केन्द्र, माँझी द्वारा चलाए जा रहे 15 दिवसीय विकसित कृषि संकल्प अभियान का समापन गुरुवार को सारण जिले के जलालपुर प्रखंड के कुमना, भटकेशरी एवं देवरिया पंचायतों में भव्य कार्यक्रम के साथ हुआ। इस अभियान के अंतिम दिन किसानों को विशेष रूप से प्राकृतिक खेती की विधियों एवं उसके लाभ की विस्तृत जानकारी दी गई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कृषि विज्ञान केन्द्र, माँझी के विषय वस्तु विशेषज्ञ (उद्यान विज्ञान) एवं नोडल ऑफिसर डॉ. जितेन्द्र चन्द्र चंदोला ने बताया कि 29 मई से 12 जून तक आयोजित इस अभियान के दौरान केन्द्र के वैज्ञानिकों की दो टीमों ने सारण जिले के 13 प्रखंडों के 90 पंचायतों में भ्रमण कर जागरूकता सह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया।
डॉ. चंदोला ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में प्राकृतिक खेती की आवश्यकता अत्यंत बढ़ गई है, क्योंकि रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के दामों में वृद्धि और उनकी समय पर उपलब्धता की समस्या खेती को महंगा बना रही है। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक संसाधनों के माध्यम से हम खेत की उर्वरा शक्ति को बनाए रखते हुए उत्पादन लागत को घटा सकते हैं। उन्होंने विशेष रूप से मिट्टी के सूक्ष्मजीवों, केंचुए, जीवामृत, घनजीवामृत, बीजामृत, नीमास्त्र, वर्मी कम्पोस्ट जैसी तकनीकों का प्रयोग करने की सलाह दी, जिससे मृदा की उर्वरा शक्ति में सुधार होता है और फसल की गुणवत्ता भी बढ़ती है।
उन्होंने यह भी कहा कि रासायनिक खेती से मिट्टी की गुणवत्ता और मानव स्वास्थ्य दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। किसानों की पैदावार का एक बड़ा हिस्सा उर्वरक व कीटनाशकों में खर्च हो जाता है, जबकि प्राकृतिक एवं जैविक खेती की ओर कदम बढ़ाकर वे न केवल मुनाफा बढ़ा सकते हैं, बल्कि अपनी मिट्टी को भी स्वस्थ रख सकते हैं।
इस अवसर पर मृदा विशेषज्ञ डॉ. विजय कुमार ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड, मिट्टी की जांच, हरी खाद के महत्व की चर्चा की। वहीं बी.टी.एम. श्री हरेंद्र मिश्रा ने बिहार सरकार द्वारा किसानों के लिए चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी दी। ए.टी.एम. सुश्री दीपा कुमारी एवं श्री अजीत कुमार ने आत्मा कार्यक्रम के अंतर्गत कृषक भ्रमण और प्रशिक्षण योजनाओं की जानकारी साझा की। इफको प्रतिनिधि संदीप कुमार ने नैनो यूरिया और डीएपी के वैज्ञानिक उपयोग पर प्रकाश डाला।
इस समापन कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में किसानों की भागीदारी रही। कार्यक्रम को सफल बनाने में कृषि सलाहकार धीरेन्द्र कुमार साह, नागेन्द्र कुमार, विकास कुमार सिंह, तथा कृषि विज्ञान केन्द्र, माँझी से श्री राकेश कुमार की अहम भूमिका रही।
अभियान के इस समापन के साथ किसानों में प्राकृतिक और टिकाऊ खेती के प्रति जागरूकता और रुचि स्पष्ट रूप से देखी गई, जो आने वाले समय में सार्वजनिक स्वास्थ्य, पर्यावरण सुरक्षा और आर्थिक लाभ के लिए एक सार्थक कदम साबित होगा।