जो जैसा कर्म करेगा, उसे उसका फल स्वयं भोगना पड़ेगा।!:साधना शास्त्री
सारण (बिहार): भगवान ने जब सृष्टि की रचना की तो उसे सही ढंग से चलाने के लिए विधान भी बनाया। हालांकि सभी युगों में कर्म की प्रधानता दी। भगवान ने विधान बना दिया कि जो जैसा कर्म करेगा, उसे उसका फल स्वयं भोगना पड़ेगा। भगवान ने कर्मफल का विधान बनाया तो अपने को भी इससे जोड़ दिया। इस संसार मे अवतार लेने के बाद स्वयं भगवान को भी उनके कर्मो का फल भोगना पड़ा। उक्त बाते दाउदपुर के भरवलिया गांव स्थित श्रीराम जानकी एवं शिव मंदिर परिसर में चल रहे श्री रुद्र महायज्ञ के पांचवे दिन साध्वी साधना शास्त्री ने कथा सुनाते हुए कही।
उन्होंने कहा जब भगवान राम ने छिपकर बाली को मारा तो उसके फलस्वरूप कृष्णा अवतार में एक बहेलिया द्वारा वाण से वेध कर मार डाला। जब जंगल मे शिकार पर निकले राजा दशरथ ने श्रवण कुमार को मारा तो श्रवण कुमार के माता- पिता श्राप के कारण उनकी मृत्यु भी पुत्र-वियोग में तड़प- तड़प कर हुई।
जब कर्म का फल भगवान को भोगना पड़ा तो सृष्टि के विधान के अनुसार हमें भी अपने कर्म का फल भोगना हीं पड़ेगा। अतः मानव को अपने कर्म के प्रति सचेत रहना चाहिए। कार्यक्रम के पांचवे दिन शनिवार की शाम को महा आरती के उपरांत दीप उत्सव कार्यक्रम भी किया गया। जिसमें बाल कृष्ण आशुतोष जी महाराज के नेतृत्व में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए और पूजा-अर्चना की।