पितृ दिवस पर कविता : मेरे पापा...
वह कौन से शब्द लिखूँ ,
जिसमें मैं अपने पापा का वर्णन सुनाऊं!
मुझे ऐसा लगे हर सुबह कि रोशनी आप हैं,
समुन्द्र कि लहरों कि तरह अथाह प्यार छुपाये वैठे है पापा,
मेरे होठों कि मुस्कान भी आप है,
खिली बगिया का झूला भी आप ही तो हैं पापा,
मेरे सपनों कि उड़ान आप है पापा,
मेंरी शख्सियत को रचने वाले कुशल कारीगर आप हीं हो पापा,
मेरा मार्गदर्शक बनने वाले आप हीं हो पापा,
मेरे डर को भगाने वाले आप ही तो हैं पापा,
ज्ञान की राह दिखाने वाले भी आप हैं,
आध्यात्मिक गूढ़ पहेली सुलझाने वाले आप ही तो हैं पापा,
जीवन अर्थ मूल्य समझाने वाले भी आप ही हैं,
मैं कुछ और नहीं मात्र एक परछाई ही तो हूं आपकी पापा,
चारों दिशाएं, मेरी दुनिया भी आप हैं,
मेंरी हर ख़ुशी पूरी करने वाले खुशियों के सौदागर हो पापा
मेरे कहने से पहले मेंरी हर ज़िद को पूरा करने वाले आप हीं हो पापा,
मेंरी अंदर हौसला जगाने वाले आप हीं हो पापा,
वो कौन से शब्द लिखूँ,
जिसमें मैं अपने पापा का वर्णन सुनाऊं!
प्रिया पाण्डेय "रोशनी "