जलालपुर के पीरारी में संत राजुल साहेब और संत लक्ष्मी साहेब के परिनिर्वाण महोत्सव में गुरु-शिष्य परंपरा पर हुआ विचार-विमर्श!
सारण (बिहार): जलालपुर प्रखंड के पीरारी स्थित श्री राजूल लक्ष्मी धाम में संत शिरोमणि श्री साहेब बाबा के परम शिष्य संत राजुल साहेब व संत लक्ष्मी साहेब के परिनिर्वाण महोत्सव पर आयोजित कार्यक्रम में भक्ति, सत्संग और आध्यात्मिक चर्चा की समृद्ध झलक देखने को मिली। इस अवसर पर गुरु-शिष्य परंपरा की महत्ता पर विशेष रूप से प्रकाश डाला गया।
भजन संध्या कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध गायिका मंदाकनी ने भक्ति गीतों से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। महामंडलेश्वर श्रीश्री 1008 श्री देवेन्द्र दास जी महाराज ने कहा कि सच्चा शिष्य वही होता है जो अपने गुरु की शिक्षा को जीवन में उतारकर उनके आदर्शों पर चलने का प्रयास करता है। उन्होंने गुरु की कृपा को जीवन में सफलता और आत्मिक उन्नति का मूल स्रोत बताया।
महंत श्री श्री 108 श्री मनन दास जी महाराज द्वारा आयोजित सत्संग में श्रृंगार आरती और विधिवत पूजन-अर्चना का आयोजन विद्वान ब्राह्मणों द्वारा किया गया। इस अवसर पर श्री श्री 108 महंत कृष्णकांत दास जी महाराज (अयोध्या धाम), श्री श्री 108 महंत राम प्रिय दास जी महाराज, श्री श्री 108 महंत दीप दास जी महाराज, श्री श्री 108 महंत राम दास जी महाराज, श्री श्री 108 महंत गोवर्धन दास जी महाराज, श्री श्री 108 महंत शरवेश्वर दास जी महाराज, श्री श्री 108 महंत ब्रजेश दास जी महाराज, श्री श्री 108 महंत डॉ. अशोक दास जी, महंत अशोक दास, महंत बालक दास और महंत बृजेश दास सहित अनेक आध्यात्मिक गुरुओं की उपस्थिति ने कार्यक्रम को विशेष भव्यता प्रदान की।
सभी संतों ने गुरु-शिष्य परंपरा को भारतीय संस्कृति की आत्मा बताते हुए इसके पालन और प्रसार पर बल दिया और उपस्थित श्रद्धालुओं को इसे अपने जीवन में उतारने की प्रेरणा दी।