वीरता की प्रतिमूर्ति महाराणा प्रताप की 485वीं जयंती पर गूंजा 'जय एकलिंग'!
सिवान (बिहार): वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की 485वीं जयंती शुक्रवार को गंगपुर सिसवन बाजार स्थित महाराणा चौक पर बड़े हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाई गई। समारोह की शुरुआत महाराणा प्रताप एवं भामाशाह की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण के साथ हुई। उपस्थित जनसमूह ने उनके पदचिन्हों पर चलने का संकल्प लिया।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने महाराणा प्रताप की वीरता, त्याग और देशभक्ति को प्रेरणास्रोत बताया। पूर्व मंत्री विक्रम कुंवर ने कहा, “महाराणा प्रताप ने केवल दो हजार सैनिकों के साथ अकबर की विशाल सेना को हल्दीघाटी में चुनौती दी थी। वे भारत के इतिहास को जीवंत रखने की मिसाल हैं।”
नवचयनित आईएएस आदित्य कुमार ने कहा, “उनका जीवन सिखाता है कि विपरीत परिस्थितियों में भी आत्मबल नहीं खोना चाहिए।” पूर्व प्रमुख जगनारायण सिंह ने कहा, “महाराणा ने मातृभूमि की रक्षा हेतु घास की रोटी खाना स्वीकार किया लेकिन कभी अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की।”
जदयू नेता अजय सिंह ने कहा, “वे सिसोदिया वंश के अमर योद्धा थे, जिन्होंने मुगलों से वर्षों संघर्ष किया। अकबर चाहता था वे झुकें, लेकिन वे कभी नहीं झुके।” विधायक कर्णजीत सिंह ने कहा, “महाराणा प्रताप ने हिंदुत्व और देश की रक्षा के लिए जो बलिदान दिया, वह इतिहास में अमर है। चेतक और भामाशाह उनके संघर्ष के साथी रहे।”
सुधीर सिंह ने महाराणा के वंशजों की एकता पर बल दिया।
कार्यक्रम को चन्दन सिंह, पूर्व मुखिया आनंद सिंह, विनय शंकर सिंह, त्रिलोकी सिंह, हरिकिशोर सिंह, गौतम यादव, पूर्व प्रमुख विनय सिंह, प्रमुख सुरेन्द्र सिंह और धर्मेंद्र साह ने भी संबोधित किया।