पांच मई तक 135 लक्षित गांव के 87395 घरों में से 109 गांव के 69987 घरों में किया जा चुका हैं छिड़काव!
जिले में चल रहे छिड़काव कार्य का विभागीय अधिकारियों ने किया औचक निरीक्षण: डॉ ओपी लाल
सिवान (बिहार): जिले के गोरेयाकोठी प्रखंड अंतर्गत सिसई गांव में चल रहे छिड़काव कार्य का औचक निरीक्षण करने पहुंचे विभागीय अधिकारियों की टीम ने एक एक घर का भ्रमण कर बारीकी के साथ घर में रहने वाले परिवार के सदस्यों से छिड़काव कार्य से जुड़ी हुई जानकारियों को साझा किया है। जिसमें मुख्य रूप से स्थानीय लोगों को बताया गया कि नमी एवं अंधरे वाले स्थान पर कालाजार की बालू मक्खियां ज्यादा फैलती है, लेकिन इससे ग्रसित मरीजों का इलाज आसानी से संभव है। हालांकि यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी प्रवेश कर जाता है। इस संबंध में जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ ओम प्रकाश लाल ने बताया कि जिले के दरौली, आंदर और हसनपुरा प्रखंड को छोड़ कर शेष सभी 16 प्रखंडों के 135 गांव में स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रतिनियुक्त 26 टीम के द्वारा गृह भ्रमण कर सिंथेटिक पैराथायराइड (एसपी) दवा का छिड़काव कार्य अंतिम चरण में चल रहा है लेकिन समय- समय पर उसका औचक निरीक्षण किया जाता है। जिसको लेकर भगवानपुर हाट प्रखंड के माघर और रतौली गांव के दर्जनों गांव के सैकड़ों घरों का जायजा लिया गया है। लेकिन सबसे अहम बात यह है कि जहां पिछले तीन वर्षों में कालाजार के संभावित मरीज पाए गए हैं। वहां से कालाजार जैसी बीमारी को जड़ से मिटाने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि इसके लिए स्वास्थ्य विभाग, स्थानीय जनप्रतिनिधि के अलावा ग्रामीणों को जागरूक होने की जरूरत है। वहीं आपसी समन्वय व आम लोगों के सहयोग से ही इस रोग के प्रसार पर काबू पाया जा सकता है।
जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार (डीवीबीडीसी)
नीरज कुमार सिंह ने बताया कि जिले में मार्च से शुरू छिड़काव अभियान अब धीरे धीरे समापन की ओर बढ़ रहा है। कालाजार जैसी बीमारी से बचाव को लेकर जिले के 16 प्रखंडों के 135 गांव को चिह्नित किया गया है। जहां स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों द्वारा संभावित मरीजों की संख्या देखते हुए गृह भ्रमण कर छिड़काव किया जा रहा है। पांच मई तक 135 लक्षित गांव के 87395 घरों में से 109 गांव के 69987 घरों में छिड़काव किया जा चुका है। हालांकि पहले चरण का छिड़काव कार्य 20 मई तक चलेगा। उसके बाद दूसरा चरण आगामी जून और जुलाई महीने में संपादित किया जाएगा। जिसको लेकर विभागीय टीम गोरेयाकोठी और भगवानपुर हाट प्रखंड क्षेत्र के कई गांवों का दौरा कर छिड़काव कार्य का मूल्यांकन और अनुश्रवण किया गया है। जिले में अभी तक वीएल के 07 जबकि पीकेडीएल के 08 मरीजों का इलाज़ चल रहा है। उक्त दोनों प्रखंडों के कई गांवों का दौरा के दौरान डीवीबीडीसीओ डॉ ओम प्रकाश लाल, डीवीबीडीसी नीरज कुमार सिंह, वीडीसीओ विकास कुमार, पीरामल स्वास्थ्य के पीओसीडी सोनू सिंह सहित स्वास्थ्य विभाग के कई अन्य अधिकारी और कर्मी शामिल रहे।
कालाजार बीमारी का लक्षण और प्रकार:
दो सप्ताह से अधिक बुखार, पेट के आकार में वृद्धि, भूख नहीं लगना, उल्टी होना, शारीरिक चमड़ा का रंग काला होना आदि कालाजार बीमारी के लक्षण हैं। ऐसा लक्षण वाले मरीजों को विसरल लीशमैनियासिस (वीएल) कालाजार की श्रेणी में रखा जाता है। ऐसा लक्षण शरीर में महसूस होने पर ग्रसित मरीज को अविलंब जांच कराना जरूरी होता है। इसका इलाज कराने के बाद भी ग्रसित मरीज को सुरक्षित रहने के आवश्यकता होती है। इसके उपचार में विलंब से हाथ, पैर और पेट की त्वचा काली होने की शिकायतें मिलती हैं जिसे पोस्ट कालाजार डरमल लिश्मैनियासिस (पीकेडीएल) कालाजार से ग्रसित मरीज कहा जाता है। मुख्य रूप से पोस्ट कालाजार डरमल लिश्मैनियासिस (पीकेडीएल) एक त्वचा रोग है जो कालाजार के बाद होता है। जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में कालाजार का इलाज आसानी से हो सकता है।