आक्षेप: राजनीति:पक्ष और विपक्ष
गठबंधन की राजनीति और बिहार विधानसभा चुनाव 2025
क्या आगामी बिहार के आगामी विधानसभा चुनावों में प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज राजद नेतृत्व वाले महागठबंधन और भाजपा नेतृत्व के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की चुनावी राजनीति से बाहर बिहार के सारे विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी?
✍️ राजीव कुमार झा
देश में गठबंधन सरकार का वर्तमान प्रचलन सरकार के कामकाज को प्रभावित करता है और आम सहमति से सचमुच केन्द्र सरकार के अलावा राज्य सरकारों को भी ऐसी पार्टियों से समर्थन प्राप्त करके सरकार चलाना पड़ता है जिससे उनका चरम विरोध भी रहता है। हमारे देश में भी सरकार कोई काम ठीक से नहीं कर पा रही है और ऐसे में
तमाम पार्टियों ने अपनी औकात से भी स्पष्टता से किनारा करके गठबंधन के जरिए सत्ता पर कब्जा करने के उपक्रम को जब जनता पार्टी के गठन के साथ देश में शुरू किया तो किसी ने नहीं सोचा था कि देश में धीरे -धीरे बहुदलीय सरकार ही लोकप्रिय हो जाएगी और फिर कोई भी पार्टी अपने एजेंडे को ठीक से जनता के सामने रख पाएगी और न ही प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री जैसे पदों पर काबिज नेता जनता के सामने अपनी गरिमा को ठीक से रख पाएंगे। नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार ने एक ऐसे ही समय में राजनीति में शिखर स्तर पर अपने प्रभाव और अपनी साख को कायम किया। बिहार में प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज शायद आगामी विधानसभा चुनावों में अकेले चुनाव लड़ेगी और अगर उनकी यह पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में इस चुनाव में उभरकर सामने आती भी है तो स्पष्ट बहुमत के अभाव में इस पार्टी को भी गठबंधन सरकार ही बिहार में गठित करना होगा। क्या प्रशांत किशोर की पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में अगर नहीं उभरती है तो क्या अपने कुछ विधायकों के साथ बिहार में सरकार गठन में वह कोई पर प्रभावी भूमिका निभाएगी? प्रशांत किशोर राजनीति में नयी सोच के नेता हैं और वह भाजपा जदयू राजद तीनों की आलोचना में संलग्न दिखाई दे रहे हैं और कांग्रेस की हैसियत के मुताबिक वह उसकी चर्चा में शामिल होना भी उचित नहीं समझते हैं। याद रखिए बिहार में चुनाव परिणाम आशानुरूप ही होंगे और जन सुराज के साथ बिहार में व्यवस्था बदलाव की मुहिम शुरू हो जाएगी।
क्या आप गांधी मैदान में प्रशांत किशोर की रैली में जा रहे हैं? शायद पटना में इस बार पुलिस ने उनको रैली की अनुमति भी प्रदान कर दी है और यह नीतीश कुमार की वर्तमान सरकार की बड़ी उदारता है कि वह बिहार की जनता के सामने प्रशांत किशोर को अपनी बातों को रखने का मौका दे रही है और शायद जनता की अदालत में बिहार के सारे राजनीतिक दल उन्हें एक तरह से खड़ा देखना चाहते हैं और उन्हें स्पष्टता से अपनी सोच बिहार से जुड़े चिंतन को रखना होगा और तभी बिहार की राजनीति को सत्ता की पंक पयोधि से वह बाहर निकाल पाएंगे।