सिवान मंडल कारा में दिसंबर और जनवरी में 275 कैदियों का हुआ टीबी स्क्रीनिंग, 6 में पाया गया टीबी संक्रमण!
जेल में बंद कैदियों की टीबी जांच व पहचान सुनिश्चित करना सार्थक पहल: सिविल सर्जन
100 दिन टीबी अभियान के तहत कैदियों का पोर्टेबल एक्सरे मशीन द्वारा किया गया स्क्रीनिंग!
सिवान (बिहार): मार्च 2025 तक टीबी मुक्त अभियान के तहत देश के 347 जिले में बिहार से चयनित 10 जिलों में सिवान भी शामिल किया गया है। पूर्व के दिनों में जिला प्रशासन द्वारा टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत टीबी की बीमारी और उसके इलाज के लिए जनजागरूकता जरूरी होता है। इसी उद्देश्यों की पूर्ति और प्रचार प्रसार को लेकर जागरूकता रथ का हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया था। इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने बताया कि टीबी एक गंभीर संचारी रोग है। जिसका समय पर इलाज नहीं होने से एक दूसरे से संक्रमण बढ़ने की संभावना बनी रहती है। जिला सहित राज्य और देश को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के लिए शिक्षित वर्ग व समाजसेवी संस्थाओं को बढ़ चढ़ कर जागरूक करना होगा। इसी कड़ी में मंडल कारा सिवान में बंद कैदियों की जांच एक अच्छी पहल है। इस सार्थक पहल के माध्यम से जेल में बंद कैदियों की टीबी जांच व पहचान सुनिश्चित हो सकती है।
संचारी रोग पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार ने कहा कि मंडल कारा सिवान में कैदियों के बीच 100 दिन टीबी अभियान चलाया गया। जहां महिला और पुरुष कैदियों का पोर्टेबल एक्सरे मशीन द्वारा स्क्रीनिंग किया गया। क्योंकि कैदियों के शरीर में संभावित एवं छिपे हुए टीबी का ससमय पता लगाकर स्क्रीनिंग करते हुए उन्हें बेहतर उपचार प्रदान किया जा सके। हालांकि कारागार प्रशासन द्वारा समय - समय पर कैदियों के स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियों को देखते हुए स्वास्थ्य जांच शिविर आयोजित कर टीबी, एचआईवी, शुगर, बीपी सहित कई तरह की जांच कराई जाती है। साथ ही उन्हें संक्रमित सहित अन्य प्रकार की बीमारियों की पहचान को लेकर लक्षण व बचाव से संबंधित निदान बताया जाता है। ताकि समय रहते बीमारियों की पहचान और उपचार सुनिश्चित किया जा सकें। इस अभियान का मकसद सिर्फ एक बार ही जेल में बंद कैदियों की जांच एवं उपचार की व्यवस्था प्रदान करना नहीं है, बल्कि इसका मुख्य उद्देश्य अभियान के बाद भी नियमित तौर पर कारागार में बंद कैदियों की एचआईवी, टीबी, यौन संबंधित रोग एवं हेपाटाईटिस बी एवं सी की जांच के बाद समुचित उपचार को जारी रखना है।
जिला टीबी एवं एड्स समन्वयक (डीपीएस) शैलेन्दु कुमार का कहना है कि देश में प्रत्येक वर्ष लगभग पांच लाख से अधिक लोग टीबी जैसी बीमारी के कारण काल के गाल में समा जाते हैं। क्योंकि यह आंकड़ा दुनिया के अन्य देशों से अधिक है, वहीं जेल के कैदियों में सामान्य लोगों की अपेक्षा टीबी की बीमारी होने का खतरा अत्यधिक होता है। जिसको लेकर सिवान कारागार में टीबी से संबंधित स्क्रीनिंग और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। हालांकि कारा में टीबी से संबंधित कैदियों की जांच, उपचार एवं जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने के लिए मंडल कारा के अधिकारियों को सूचना पहले ही दिया गया था। ताकि आसानी से कैदियों की जांच सुनिश्चित कर टीबी एचआईवी मरीजों सहित कई अन्य प्रकार की स्वास्थ्य जांच कराई जाए। जिले को टीबी मुक्त अभियान में विभाग के अधिकारी और कर्मियों सहित जिलेवासियों की भूमिका महत्वपूर्ण होनी चाहिए ताकि प्रधानमंत्री के सपने को साकार किया जा सके।
जिला योजना समन्वयक (डीपीसी) दीपक कुमार ने बताया कि टीबी मुक्त अभियान के तहत 100 दिन कार्यक्रम अंतर्गत मंडल कारा सिवान में टेक्नीशियन जितेंद्र यादव, सदर पीएचसी के एसटीएस राम सागर राम और एसटीएलएस ओम प्रकाश प्रसाद जबकि लैब टेक्नीशियन किरण कुमारी के अलावा डीटीसी की मनती सिन्हा के द्वारा दिसंबर 2024 में 161 जबकि जनवरी 2025 में 114 कैदियों का पोर्टेबल एक्सरे मशीन द्वारा स्क्रीनिंग किया गया। जिसमें 06 कैदियों में टीबी बीमारी से संबंधित संदिग्ध पाया गया है। जबकि बलगम जांच में 58 कैदी संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। जिसको यक्ष्मा विभाग द्वारा दवा उपलब्ध कराया गया है। वही मंडल कारा सिवान द्वारा अलग से पौष्टिक आहार खाने के लिए दिया गया है। साथ ही नियमित रूप से दवा सेवन को लेकर सलाह देते हुए कैदियों को बताया गया कि अगर किसी व्यक्ति को लगातार दो सप्ताह से ज्यादा खांसी, बुखार या बलग़म में खून का आना, वजन में कमी, भूख नहीं लगने की शिकायत हो तो अविलंम स्वास्थ्य केंद्र जाकर अपनी जांच कराना चाहिए। ताकि समय रहते उसका इलाज किया जा सके।