भगवान का नाम ही लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है, क्यों?
सिवान (बिहार): सिसवन प्रखंड़ के जयी छपरा गाँव स्थिर जानकी धाम में चल रहे श्रीमद भागवत कथा के छठे दिन बुधवार को कथा वाचक केन बाबा ने बताया कि अजामिल कान्यकुब्ज ब्राह्माण कुल में जन्मे थे और कर्मकाण्डी थे। एक दिन वह गांव से बाजार जा रहे थे तो उन्होंने एक नारी को देख। वह उसे अपने घर ले आए। अजामिल अपने नौ बच्चों के साथ रहने लगे। एक दिन संतों का एक काफिला अजामिल के गांव से गुजर रहा था। यहां पर शाम हो गई तो संतों ने अजामिल के घर के सामने डेरा जमा दिया। रात में जब अजामिल आया तो उसने साधुओं को अपने घर के सामने देखा। इससे वह बौखला गया और साधुओं को भला बुरा कहने लगा। इस को सुन कर अजामिल की पत्नी वहां आ गई।पति को डांटते हुए शांत कर दिया। अगले दिन साधुओं ने अजामिल से दक्षिणा मांगी। इस पर वह फिर बौखला गया और साधुओं को मारने के लिए दौड़ पड़ा। तभी पत्नी ने उसे रोक दिया। साधुओं ने कहा कि वह अपने होने वाले पुत्र का नाम तुम नारायण रख ले बस यही हमारी दक्षिणा है। अजामिल की पत्नी को पुत्र पैदा हुआ तो अजामिल ने उसका नाम नारायण रख लिया और नारायण से प्रेम करने लगा। इसके बाद जब अजामिल का अंत समय आया तो यमदूतों को भगवान के दूतों के सामने अजामिल को छोड़ कर जाना पड़ गया। इस तरह अजामिल को मोक्ष की प्राप्ति हुई। इसलिए कहा गया है कि भगवान का नाम लेने से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। इस मौके पर एथलेटिक्स विकाश कुमार सिंह ने कथावाचक केन बाबा को फूलमाला पहनाकर सम्मानित किया।