मंतव्य
अपने भारत विरोधी रवैयों से ही पाकिस्तान बर्बाद हुआ!
बिहार के भाजपा नेता गिरिराज सिंह अपनी हिन्दू स्वाभिमान यात्रा पर बिहार के कुछ मुस्लिम बहुल इलाकों के दौरे पर आए हैं। हिन्दुओं ने निरभिमान को सदियों से अपना अपना जीवन धर्म बना रखा है और यहां पर वे मुसलमानों, सिक्खों, ईसाइयों और देश के अन्य धार्मिक मतावलंबियों से भिन्न भी माने जाते हैं। हिन्दुओं को स्वाभिमान का संदेश देना काफी कुछ वैसा ही है मानो हम उन लोगों को अपने बारे में बड़प्पन के भाव से कुछ बताना चाहते हों जो लोग काफी दिनों से हमें जानते हों और सारी बातों को नजरंदाज करके अपनी तरह से जिंदगी जीते रहे हों। पाकिस्तान देश के कुछ लोगों की ऐसी ही सोच का प्रतिफल है। मध्यकाल में मुसलमान शासकों ने इस देश पर शासन किया। उन्होंने इस दौरान हिन्दुओं - सिक्खों को काफी जलील किया। हिन्दू सहिष्णुता से अपने स्वाभिमान की रक्षा में जुटे रहे।
आज मुसलमान भारत के लोकतंत्र में सद्भाव और शांति को अपना जीवन धर्म बनाकर जिंदगी बिता रहे हैं और अब बिहार में लालू प्रसाद का जमाना भी कायम नहीं रहा कि मुसलमान अपने स्वाभिमान को उनके चरणों पर गिरवी रखकर इंद्रकुमार गुजराल और एचडी देवगौड़ा को देश के प्रधानमंत्री पद पर आसीन करके गिरिराज सिंह के सामने अपने स्वाभिमान का प्रदर्शन करके उनको आदाब करें। आजादी के बाद से कांग्रेस के पिछलग्गू मुसलमानों ने बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद इस पार्टी को धोखा दिया और भाजपा को अपनी पार्टी मानने से इंकार करते रहे हैं। इन्होंने देश में चुनावों के दौरान अपने जनमत के प्रदर्शन में सदैव अपने संकीर्ण हितों को सदैव सबसे ऊपर रखा और पिछले दो दशकों से केन्द्र में अपनी ढुलमुल मतदान प्रवृत्तियों से यहां कई बार अस्थिर सरकार के गठन में अपने राजनीतिक अधिकारों का दुरूपयोग किया है।
सचमुच मुसलमान कमाल हैं और कांग्रेस, भाजपा दोनों से इनकी काफी दूरी आज भी कायम है अन्यथा आज देश में राहुल गांधी की सरकार होती और देश बदहाली की तमाम परिस्थितियों से बाहर दिखाई देता। गिरिराज सिंह को सबसे पहले यह समझना चाहिए कि हमारे देश में धर्मनिरपेक्ष सोच से अलग होने के बावजूद जयप्रकाश - लोहियावादी पार्टियों ने मुसलमानों को चुनावों के दौरान गले लगाकर इनके स्वाभिमान का चिथड़ा इस देश में उड़ा
दिया। हिन्दुओं की तरह मुसलमानों को भी वोट बैंक बनने की जगह अब स्वाभिमानी बनना होगा और अपने देश को अपना समझकर ही वे संसार को अपना चेहरा दिखा सकते हैं। यहां वह गिरिराज सिंह से भी बात कर सकते हैं और गर्व से अपना माथा उठाकर हर जगह चल सकते हैं । सारी दुनिया अवसरवादियों से घृणा करती है और इसीलिए संसार के हर एयरपोर्ट पर ऐसे लोगों को संदेह की निगाह से देखा जाता है। उनके बारे में पहले जांच पड़ताल होती है। जसवंत सिंह अपहृत भारतीय विमान यात्रियों को वापस अपने देश लाने जब कांधार गये थे तो काफी करीब से भाजपा सरकार सारी दुनिया से कश्मीर समेत तमाम आतंकवादी आंदोलनों के आकाओं से आतंक की इस राजनीति के बारे में सवाल पूछना चाह रही थी। जसवंत सिंह सकुशल देश लौट आए थे। उनमें मुसलमान यात्रियों को भी लेकर वह अपने अपने देश लौटे थे जो दो दिनों से विमान को उड़ाए जाने की दहशत से पीले पड़ गए थे। कनाडा हो या कश्मीर देश की अखंडता को चुनौती देने वाला भारत के भीतर- बाहर का हर आदमी देश का दुश्मन है, मुसलमानों को यह बात समझना चाहिए। यह संभव है कि कांधार में खड़े अपहृत विमान में कश्मीर का भी कोई मुसलमान यात्री हो।
सचमुच भारत विरोधी रवैयों से ही पाकिस्तान बर्बाद हुआ और भारत के मुसलमानों का ऐसा हाल अगर दुनिया में नहीं हुआ तो इसलिए कि वह भारत के नागरिक हैं और अब गिरिराज सिंह का भाषण सुनने के बाद वे शायद स्वाभिमानी भी हैं। यह समय देशप्रेम और राष्ट्र के नवनिर्माण का समय है। गिरिराज सिंह हिन्दुओं में जिस स्वाभिमान को देखना चाहते हैं, वह पाकिस्तान के मौजूदा शासकों में भी होना चाहिए और इसके लिए जरूरी है कि वे झूठी हेकड़ी से दूर रहें और यह विश्वास मन में बनाए रखें कि भारत उनके देश पर कभी कब्जा नहीं करेगा और इराक की तरह से अमरीकी सेना की उनके देश पर कार्रवाई से पहले भारत सबसे पहले उसके बारे में सवाल पूछेगा। लेकिन इसकी कुछ शर्तें होंगी। श्रीलंका की तरह से पाकिस्तान की सुरक्षा भी भारत की जिम्मेदारी है।