"सामूहिक अग्रिम पंक्ति प्रत्यक्षण" में मिला किसानों को प्रशिक्षण! सरसो की होगी बेहतर खेती!
माँझी कृषि विज्ञान केन्द्र में किसानों को सरसों के फसल उत्पादन तकनीक विषय पर प्रशिक्षण सम्पन्न।
सारण (बिहार) संवाददाता मनोज कुमार सिंह: माँझी कृषि विज्ञान केन्द्र के सभागार में "सामूहिक अग्रिम पंक्ति प्रत्यक्षण" प्रोग्राम के तहत सारण जिले के माँझी, जलालपुर, सदर एवं एकमा प्रखंड के प्रगतिशील किसानों का पाँच दिवसीय प्रशिक्षण शनिवार को सम्पन्न हो गया। शिविर में सरसों, प्रभेद- राजेंद्र सुफलाम के वैज्ञानिक विधि से सरसों के उत्पादन तकनीक के बारे में प्रशिक्षण के माध्यम से संपूर्ण जानकारी दी गयी। साथ ही किसानों के बीच सरसों के बीज का वितरण भी किया गया।
कार्यक्रम के शुभारंभ में वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ. संजय कुमार राय द्वारा सामूहिक अग्रिम पंक्ति प्रत्यक्षण कार्यक्रम के विषय में किसानों को विस्तार से बताया गया। उद्यान विशेषज्ञ डॉ. जितेन्द्र चन्द्र चंदोला ने बताया की रवि के मौसम में सरसों के प्रभेद- राजेंद्र सुफलाम की बीज दर प्रति हेक्टेयर 5 किलोग्राम हैं। इसके पौधे की ऊंचाई 145 सेंटीमीटर होती है और यह 108 दिनों में पक कर तैयार हो जाती हैं। इसके दाने बड़े आकार में होते हैं, जिसमे तेल की मात्रा 39.7 प्रतिशत पाया जाता है। इसकी औसत उपज 1631 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। इसके पौधे अधिक आधारीय शाखाओं के साथ मोटे बीजों वाली, मोटी फलियों वाली होतीहै। इसको देर से बुवाई भी किया जा सकता है। विषय वस्तु विशेषज्ञ डॉ. सुषमा टम्टा ने बताया कि सरसों की बुवाई के लिए 5 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है। बीज को बोने से खेत को अच्छी तरह से तैयार करना बहुत ज़रूरी है। उसके लिए पहले कलटीवेटर की मदद से खेत को जोतकर उसके बाद रोटावेटर चलाकर मिट्टी को भुरभुरा करना अनिवार्य है, जिससे कि ज़्यादा उपज प्राप्त हो सके।
सरसों की बुवाई के लिए कतारों में बुआई करनी चाहिए। कतार से कतार की दूरी 30 सेंटीमीटर और पौधों से पौधों की दूरी 6-10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। सिंचित क्षेत्र में बीज की गहराई 5 सेंटीमीटर तक रखनी चाहिए। सरसों की बुवाई के लिए जड़ सड़न रोग से बचाव के लिए बीज को बुवाई से पहले फफूंदनाशक से उपचारित करना चाहिए। सरसों की बुवाई के लिए उत्पादन बढ़ाने के लिए एज़ोटोबेक्टर और फ़ॉस्फ़ोरस घोलक जीवाणु खाद का इस्तेमाल करना चाहिए। सरसों की खेती में दो से तीन बार सिंचाई करनी चाहिए तथा खेत में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए। डॉ. विजय कुमार ने बताया कि मिट्टी की जाँच सरसों की खेती में एक अहम भूमिका निभाता है। मिट्टी का PH सरसों की खेती में 5.5 से 6.5 होना चाहिए तथा सल्फ़र की मात्रा प्रयुक्त होनी चाहिए जिससे की ज़्यादा उपज प्राप्त हो सके।