विश्व हेपेटाइटिस दिवस:
विश्व स्तर पर "इट्स टाइम फॉर एक्शन" थीम के तहत मनाया जाएगा हेपेटाइटिस दिवस!
हेपेटाइटिस का संक्रमण सबसे पहले हृदय को करता है प्रभावित: सिविल सर्जन
हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई में वायरल कारणों से होती है बीमारी: डीआईओ
जानकारी और सावधानी से हेपेटाइटिस के संक्रमण से बचाव संभव: डॉ किरण ओझा
सारण (बिहार): वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल के दौरान जितने भी तरह के रोग हुए हैं, उन सभी से कहीं ज़्यादा गंभीर हेपेटाइटिस बी संक्रमण को माना जाता है। क्योंकि यह बीमारी समय से टीकाकरण नहीं कराने व लोगों को इसके संबंध में जानकारी का नहीं होना माना गया है। सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि वैश्विक स्तर पर लोगों के बीच जागरूकता लाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस बी दिवस मनाया जाता है। इसका टीका जन्म के समय ही नियमित रूप से टीकाकरण केंद्रों पर नवजात शिशुओं को लगाए जाते हैं। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग, सहयोगी संस्थाओं व कई सामाजिक स्तर पर कार्य करने वाली गैर सरकारी संस्थानों द्वारा भी इसको लेकर समय- समय पर बैनर, पोस्टर या अन्य गतिविधियों के द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जाता है। ताकि इस बीमारी के संबंध में सभी को जानकारी मिल सके। विश्व स्तर पर मनाए जाने वाले "हेपेटाइटिस बी" दिवस का इस बार थीम "इट्स टाइम फॉर एक्शन" यानी अब कार्रवाई का समय है। हेपेटाइटिस वायरस के कारण होने वाला एक तरह का संक्रमण है जो सबसे पहले ह्रदय को प्रभावित करता है। उसके बाद रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है। जिस कारण लिवर सिरोसिस, लिवर कैंसर एवं ह्रदय आघात का खतरा बढ़ जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो पूरे विश्व में प्रतिवर्ष लगभग 9 लाख से अधिक लोगों की मौत हेपेटाइटिस "बी" संक्रमण से होती है।
हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई में वायरल कारणों से होती है बीमारी: डीआईओ
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ चंदेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि हेपेटाइटिस ए का वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति और दूषित पानी या भोजन के सेवन से फैलता है। वहीं मतली, उल्टी, दस्त, निम्न- श्रेणी का बुखार और लिवर एरिया में दर्द कुछ ऐसे लक्षण हैं, जिन पर ध्यान देना जरूरी होता है। तो हेपेटाइटिस बी वायरस संक्रमित खून, वीर्य और शरीर के अन्य तरल पदार्थों के संपर्क में आने से फैलता है। हालांकि जन्म के दौरान भी संक्रमित मां से उसके बच्चे में वायरस के ट्रांसमिशन की संभावना अधिक होती है। हेपेटाइटिस बी वायरस का लक्षण मिलने से पहले छह महीने तक शरीर में निष्क्रिय रह सकता है। इसलिए अत्यधिक थकान, भूख न लगना, पीलिया, लिवर एरिया में दर्द, मतली और उल्टी जैसे लक्षणों से सावधान रहना और जल्द से जल्द हेपेटाइटिस का जांच कराना अनिवार्य होता है। वहीं हेपेटाइटिस सी वायरस संक्रमित खून के संपर्क में आने से फैलता है। यह खून ट्रांसफ्यूजन और दूसरे प्रोडक्ट्स/प्रोसेस के माध्यम से होता है। हेपेटाइटिस सी संक्रमण के कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देता है। इसीलिए इसका उपचार करना बहुत ही ज्यादा मुश्किल होता है। जिस कारण संक्रमण से लिवर खराब होने का खतरा बढ़ जाता है। उसके बाद लिवर सिरोसिस नामक बीमारी हो जाती है। इसके बाद हेपेटाइटिस डी आमतौर पर हेपेटाइटिस बी से संक्रमित होने वाले मरीजों में होता है। हेपेटाइटिस ई वायरस मुख्य रूप से दूषित पानी पीने या आसपास दूषित पानी फैले होने के कारण फैलता है।
जानकारी और सावधानी से हेपेटाइटिस के संक्रमण से बचाव संभव: डॉ किरण ओझा
सदर अस्पताल स्थित रक्त केंद्र की नोडल अधिकारी सह महिला रोग विशेषज्ञ डॉ किरण ओझा ने बताया लिवर में सूजन के कारण हेपेटाइटिस नामक बीमारी होती है। जो लीवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। आमतौर पर हेपेटाइटिस वायरस ए, बी, सी, डी और ई की वजह से होता है। लेकिन पूरे विश्व में यह वायरस हेपेटाइटिस के सामान्य वजह हैं। हालांकि हेपेटाइटिस ऑटोइम्यून बीमारियों और दवाओं के अनुचित सेवन एवं शराब के अत्यधिक सेवन करने तथा हानिकारक विषाक्त पदार्थों की वजह से भी होता है। संक्रमण से फ़ैलने वाली बीमारियों में शामिल हेपेटाइटिस को बेहद गंभीर रोगों की सूची में रखा गया है। हेपेटाइटिस बी का संक्रमण सबसे ज्यादा प्रसूता से नवजात शिशुओं में फैलता है। हेपेटाइटिस का संक्रमण खून चढ़ाने, इस्तेमाल की गई सुई का प्रयोग, दाढ़ी बनाने वाले रेजर, दूसरे के टूथब्रश का इस्तेमाल करने, असुरक्षित यौन संबंध, टैटू बनवाने, नाक- कान छिदवाने से होता है। हेपेटाइटिस के विषय में जानकारी और सावधानी रख कर हेपेटाइटिस के संक्रमण से बचाव संभव हो सकता है। क्योंकि हेपेटाइटिस से बचाव और इसका इलाज संभव है। बशर्ते कि लोग जागरूक रहें। अगर लोग हेपेटाइटिस की जांच कराएं और टीकाकरण कराएं तो इस बीमारी से निजात पाई जा सकती है।
हेपेटाइटिस जैसी बीमारी से बचाव के तरीके:
- सुरक्षित यौन संबंध।
- हेपेटाइटिस से बचाव के लिए रक्त चढ़ाने के पूर्व रक्त की जांच जरूरी।
- स्टरलाइज़्ड सुई व सिरिंज का प्रयोग।
- सुरक्षित रक्त चढ़वाना।
- गर्भवती महिला को संक्रमण होने पर इलाज ज़रूरी।
- टैटू के लिए नई सुई का प्रयोग।
- खाना बनाने व खाने से पहले हाथ धोएं।
- स्वच्छ व ताज़ा भोजन खाएं।
- शौच के बाद हाथों को स्वच्छ पानी व साबुन से अच्छी तरह धोएं।