प्रेम बिना जीवन का अर्थ कहां?
✍️किरण बरेली
(अपने वैवाहिक वर्षगाठ पर विशेष रचना)
जीवन का कोई अर्थ नहीं
बिन प्रेम के,
प्रेम की असीम गहराईयो में
डूबते गए हम तुम,
कितने रंग बदले
मनचले मौसम ने
बरसो बरस बीत चले,
लेकिन पहले पहल जैसे हम तुम।
सुहानी सुबह मिली
कभी शाम उदास
रात का अंधियारा
साथ बिताया हमने,
साथ साथ चलते रहे हम तुम।
वक्त की बेशकीमती तिजौरी में
बिताए रेशमी पलो को
सहेज कर रखते चले हम तुम।