*******************
फूलों का रंग!
*******************
/// जगत दर्शन साहित्य
फूलों का रंग लाल होता है। 
खुशबू का रंग नही होता है।
बागों का रंग हरा होता है। 
पर मोहब्बत का रंग नही होता।। 
दिल का रंग लाल होता है। 
करने वालों का रंग नही होता। 
प्रेम दिवस का रंग लाल होता है।
लेकिन प्यार का रंग नही होता।। 
जो करते हैं मोहब्बत को यारो। 
उन्हें रंग का एहसास नही होता। 
जिन्हें रंग से मतलब होता है। 
उन्हें प्यार नसीब नहीं होता।। 
प्यार का रंग दिल पर चढ़ता है। 
नशा प्यार में बहुत होता है। 
जो आँखो में ही झलाकता है। 
इसलिए आँखों आँखों में होता है।।
दिन रात फूलों में उलझे रहते हैं। 
फूलों की कहानी खुद लिखते है। 
और खुदको फूल भी कहते है। 
इसलिए देकर मोहब्बत इजहार करते हैं।। 
*******************
बदलते मौसम का अंदाज
*******************
बदलते मौसम का अंदाज
बहुत रंग ला रहा। 
वायू मंडल में घटाओं को
जो बिखेर रहा। 
पेड़ पौधे फूल पत्ती आदि
 लहरा रहे है। 
और मंद मंद हवाओं से
खुशबू को बिखर रहा।। 
नजारा देख ये जन्नत का
किसी की याद दिला रहा। 
नदी तालाब बाग बगीचा भी
अपनी भूमिका निभा रहा। 
ऐसा लग रहा है जैसे 
मेहबूबा को स्वर्ग में घूमा रहा। 
और मोहब्बत के बारे में 
अकेला सोच रहा।। 
वर्तमान में भूत की बातें
बैठकर सोच रहा हूँ। 
सपनों और कल्पनाओं के 
सागर में बहा रहा हूँ। 
इसलिए खुदको हसीनवादियों में
घूमा रहा हूँ। 
और मेहबूब को मोहब्बत की 
याद दिला रहा हूँ।। 
संजय जैन "बीना" मुंबई

