मेरी मीठी सी झिड़की पर
तेरे आँसुओ की चंद बूँदे गिरी
समेट मैनें आँचल में बाँध लिए
कीमती सामान की तरह।।
तेरी आँखों का यूँ छलकना
ना भाया मुझे
मैंने जो अंजन आंजे थे आज
बह गए पावन धारा की तरह।।
अलसुबह ही तो मैंने
चुम्बन लिए थे कोमल गालों में
नमकीन आँसुओ ने मिटाए निशान
अहम निशानी की तरह।।
कितने ख्वाब तैर रहे हैं
तेरी सजल आँखों में
कोई एक भी सपने ना बहे
बेशकीमती हीरे मोती की तरह।
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