दिव्यालय के मासिक गोष्ठी में छलके मां के लिए आंसू!
रिपोर्ट: मंजु बंसल ‘रमा ‘
बेतिया (बिहार): दिव्यालय-साहित्य यात्रा पटल पर मातृ दिवस के उपलक्ष्य में भौतिक युग के आभासी पटल पर सोमवार को दोपहर तीन बजे से पटल संस्थापक व्यंजना आनंद मिथ्या, मुख्य अतिथि अर्थ सेवियर्स फ़ाउंडेशन के अध्यक्ष जस कालरा, अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन के बिहार प्रांत की प्रांतीय अध्यक्ष सुमन सराफ, अध्यक्ष मंजरी निधि गुल, बिहार प्रांत की साहित्य प्रमुख निशा प्रकाश की उपस्थिति में सविता खंडेलवाल भानु द्वारा कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का आरंभ संचालिका मनीषा अग्रवाल रक़्स ने मंत्रोच्चार व अतिथियों का स्वागत करते हुए किया। तदुपरांत विशिष्ट अतिथि जस कालरा ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का औपचारिक आरंभ किया। व्यंजना आनंद मिथ्या ने अपनी सुमधुर वाणी में खूबसूरत सरस्वती वंदना कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।
संचालिका मनीषा अग्रवाल रक़्स ने लाजबाव संचालन करते हुये माँ व मातृ शक्ति को नमन करते हुये कहा कि माँ की महिमा का बखान शब्दों में करना असंभव है। तत्पश्चात् आज दिव्यालय के साधकों ने अपना माँ का स्मरण करते हुये माँ के विभिन्न स्वरूपों, माँ की ममता, उसका वात्सल्य, झिड़की में भी छुपा अटूट प्रेम, कर्तव्य-पथ पर बढ़ने की प्रेरणा आदि को अपने शब्दों में पिरो कर पटल पर सबको भावविभोर कर दिया। कविता खेतान, ललिता अग्रवाल ‘आशना’, उषा अग्रवाल, वीणा चौधरी, सुंदर कुमारी ‘चारु’, नीलम अग्रवाल ‘ रत्न’, मधु रूंगटा ‘भव्या’, सीमा अग्रवाल, रोशनी सेकसरिया ‘प्रभा’, पायल अग्रवाल ‘छनक’, अनीता अग्रवाल, सुचिता रूंगटा ‘साईं’, नीलम अग्रवाल, बिहार साहित्य प्रमुख निशा प्रकाश, मीना तोदी, मनीषा अग्रवाल ‘रक्स’, विशिष्ट अतिथि सुमन सराफ, सभी ने जीवन में माँ के अनिर्वचनीय महत्ता पर प्रकाश डाला व अपनी-अपनी माँ के साथ बिताये गये अनमोल पलों को संस्मरण के रूप में शब्दों की माला पिरोकर सबके साथ साँझा किया।
व्यंजना आनंद मिथ्या ने विशिष्ट अतिथि जस कालरा की भूमिका की भूरि-भूरि प्रशंसा की जो चौबीस साल की आयु में ही गुरुग्राम में वृद्धावस्था में परित्यक्त माताओं व पिताओं को संरक्षण देकर उनकी सेवा करते हैं । उनके इस सराहनीय कार्य की जितनी प्रशंसा की जाये, कम है।
उन्होंने आगे कहा कि आज की काव्य गोष्ठी स्वयं में लाजवाब व अनूठी रही जिसमें सभी साधकों ने कविता-वाचन न करके सहज व सरल भाषा में अपने बचपन व माँ का स्मरण किया ।मनीषा अग्रवाल रक़्स ने लाजवाब व बेहतरीन संचालन कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया ।व्यंजना आनंद मिथ्या ने कहा कि माँ शब्द के उच्चारण मात्र से ही हृदय में संगीत के सुर बजने लगते हैं । माँ ही दुआओं का गान है जो सृष्टि में माँ के रूप में भगवान बनकर हर घर में विद्यमान है। माँ तो मिश्री की डली, सावन का झूला है जिसके संसर्ग में सिर्फ़ मिठास ही है । पूरे विश्व में माँ ही है जो बिना कहे अपनी संतति की सभी भावनाओं को समझ जाती है ।माँ की महिमा जितनी भी कहीं जाये, कम ही है ।उन्होंने कहा कि आज सभी माताओं को चाहिए कि वे अपने बच्चों को ऐसे संस्कार दें जिससे किसी भी माता-पिता को वृद्धावस्था का मुँह न देखना पड़े ।कुल मिलाकर आज की संस्मरण गोष्ठी मर्मस्पर्शी, भावनात्मक व करुणामूर्ति रही ।अंत में दीदी ने सबका धन्यवाद ज्ञापन कर कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा की।