नागपुर की रहने वाली इंडिया गोट टैलेंट में शिरकत करने वाली लक्ष्मी जी का हुआ साक्षात्कार दिव्यालय एक व्यक्तित्व परिचय में।
होस्ट - किशोर जैन
रिपोर्ट- सुनीता सिंह "सरोवर"
कहा जाता है कि नारी अपनी अंतिम श्वास तक अथक रहती है। नारी अवर्णनीय है। यह कोई अतिश्योक्ति न होगी कि यदि नारी ठान ले तो वो उसे पूरा करके हि दम लेगी।
अब प्रश्न उठता है कि मैं ऐसा क्यूँ कह रही हूँ?? तो..... सांच को आंच नहीं। आपको विश्वास नहीं हो रहा??? तो, हमारे दिव्यालय एक व्यक्तित्व परिचय छंद बातें कुछ यादें नई पुरानी में हमारे आज के मेहमान हैं आदरणीया लक्ष्मी वर्मा जी से।
प्र.1. आप कहाँ से हैं? आपकी शिक्षा कहाँ से हुई?
उत्तर- जी मैं नागपुर में पिछले सैतालिस वर्षों से हूँ। मूलतः मैं मेरठ की रहने वाली हूँ। प्रांरभिक शिक्षा मेरी दिल्ली में हुई। क्योंकि मेरे पिता वहाँ कार्यरत थे। मेरी शिक्षा अधूरी रह गई थी, क्योंकि मेरी शादी सत्रह वर्ष की आयु में ही हो गयी थी। उस समय मैं हाइस्कूल की परीक्षा देने वाली थी, मगर शादी के कारण मैं परीक्षा नहीं दे पाई।
प्रश्न-2. आप डी.आई.डी में कैसे पहुँची?
उत्तर- जी, हमारे काॅलोनी में कोई आयोजन था, जहाँ औरतें अपनी प्रस्तुति दे रहीं थी। उसी दौरान मैंने भी अपनी प्रस्तुति दी। मुझे डांस का शौक था और एक बिटिया ने विडियो बना कर भेज दिया। फिर मुझे वहाँ से बुलाया गया और इस तरह मुझे अभिनेता गोविंदा के साथ डांस का सुअवसर मिला और मैं प्रतियोगिता भी जीती, जिसमें मुझे कैश अवार्ड मिला।
प्रश्न-3. आप डांस दीवाने में भी गई कैसे? हम वो भी जानना चाहते हैं?
उत्तर- जी कहते हैं ना जब एक बार प्रगति पथ पर कदम बढ़ते हैं, तो राह खुद - ब- खुद बन जाते हैं, बस मेरे साथ भी ऐसा हुआ।
प्रश्न-4 क्या इनमें पार्शियलिटी भी होती है?
उत्तर- जी, नहीं। अगर ऐसा होता तो शायद मैं वहाँ तक नहीं पहुंच पाती।
प्रश्न- 5 क्या आप किसी सामाजिक संस्था से भी जुड़ी हैं?
उत्तर- जी मैं खुद को अपडेट और समाज से जुड़े रहने के लिए कुछ सहयोगी संस्थाओं से जुड़कर शिक्षा का प्रसार करने की कोशिश करती हूँ। चूंकि मेरी शिक्षा भी अधूरी रह गई थी, तो बच्चों को पढ़ाने और उनके विवाहोपरांत मैं प्राइवेट फार्म भरकर हाइस्कूल की परीक्षा पास करने के बाद अब इंटर कर रहीं हूँ। मैंने अपने बच्चों को स्वंय पढाया कभी कोई ट्यूशन नहीं दिया।
प्रश्न6- आप आज के युवा पीढ़ी को क्या संदेश देना चाहतीं हैं?
उत्तर- आज के इस आधुनिक युग के युवाओं से यही कहना चाहती हूँ कि जो ठानों वो कर डालों। जीत का जज्बा हो तो मंजिल मिल कर ही रहती है। अपने देश, समाज और अपने माता- पिता को गौरवान्वित करें। उम्र कोई बाॅंधा नहीं होती जब जागो तभी सवेरा।
अंत में बेहतरीन संचालन कर रहे यू.के. से किशोर जैन ने अपने अतिथि को धन्यवाद दिया। इस नेक व सराहनीय कार्य के लिए दिव्यालय की संस्थापक व कार्यक्रम आयोजक व्यंजना आनंद 'मिथ्या' और पटल अध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक मंजिरी "निधि" 'गुल'जी को कार्यक्रम आयोजन के लिए धन्यवाद दिया तथा बताया कि इस तरह साक्षात्कार के कार्यक्रम का सीधा प्रसारण Vyanjana Anand Kavya Dhara यूट्युब चैनल पर लाइव हर बुधवार शाम सात बजे हम नये नये प्रतिष्ठित व्यक्ति से परिचित हो सकते हैं या उसकी रेकॉर्ड वीडियो को बाद में देखा जा सकता है।