दिल की बात बताऊँ कैसे!
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✍️सुखविंद्र सिंह मनसीरत खेड़ी राओ वाली (कैथल)
दिल की बात बताऊँ कैसे!
दिल की बात बताऊँ कैसे,
खस्ता  हाल  सुनाऊँ कैसे।
उन की  प्रीत  पराई  देखी,
अपना खास  बनाऊँ कैसे।
सब  नाकाम  हुई तरकीबें,
आया  प्यार जताऊं कैसे।
सूर्य अस्त हुआ है कब से,
ढलती  शान बचाऊं कैसे।
सीना खूब हुआ है छलनी,
मन का दर्द छिपाऊँ कैसे।
नैया बीच  अधर  में  डूबी,
पूरा  फ़र्ज़  निभाऊं  कैसे।
तन में जान  रही ना बाकी,
भारी  कर्ज  चुकाऊँ  कैसे।
सीधी बात समझ ना आये,
उल्टी सीख सिखाऊँ कैसे।
राही  छूट गया  पथ  में ही,
बिसरी राह  दिखाऊँ कैसे।
बिल में सांप छुपा है देखा,
टूटी   बीन  बजाऊं   कैसे।
कब से भूल गया मनसीरत,
वादा   याद   दिलाऊँ  कैसे।
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