भारतीय कार्प के अंगुलिका साइज के 3.50 लाख मत्स्य बीज का घाघरा नदी में प्रवाह किये जाने का शुभारंभ किया गया।
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सारण (बिहार) संवाददाता वीरेश सिंह: रिवीलगंज प्रखंड के घाघरा नदी के किनारे पर अवस्थित नाथबाया मंदिर घाट पर गंगा नदी तंत्र में नदी पुनर्स्थापना कार्यक्रम (रिवर रैचिंग) के तहत भारतीय मेजर कार्प मत्स्य अंगुलिकाओं का पूर्नस्थापन किया गया। सभी उपस्थित लोगों का स्वागत प्रदीप कुमार. जिला मत्स्य पदाधिकारी के द्वारा किया गया है।
जिला पदाधिकारी के द्वारा अध्यक्षीय भाषण में मछुआरों के बीच यह संदेश दिया गया की बिहार में कालांतर में नदियों के प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र पर मानव गतिविधियों और अविवेकपूर्ण मत्स्य दोहन एवं पर्यावरण प्रदूषण हावी होने के फल स्वरुप नदियों के मत्स्यकी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है इससे न केवल मत्स्य उत्पादन प्रभावित हुआ है बल्कि मूल मत्स्य प्रजातियों की विविधता अवांछनीय मछलियों की प्रजातियां में अभिवृद्धि तथा मत्स्य उत्पादन में अविश्वसनीय क्षति हुई है, जिसका सीधा प्रभाव मछुआरों के आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति एवं नदियों के जल के गुणवत्ता पर पड़ा है बढ़ती आबादी के साथ गुणवत्ता युक्त मत्स्य प्रोटीन की मांग में अभिवृद्धि नदी मत्स्य संसाधन के सतत उपयोग संरक्षण तथा मछुआरों के आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान को दृष्टिपथ में रखते हुए रिवर रैंचिंग कार्यक्रम की स्वीकृति प्रदान की गई है, जिसके आलोक में भारतीय कार्प के अंगुलिका साइज मत्स्य बीज का घाघरा नदी में 3.50 लाख मत्स्य बीज का प्रवाह किये जाने का शुभारंभ किया गया। 3.50 लाख मत्स्य बीज का प्रवाह भारतीय कार्य अंगुलिका साइज मछलियों का नदियों से शिकार ना किया जाए इसे बढ़ने-फलने फूलने दिया जाए नदियों में 4 सेंटीमीटर से कम के साइज का जाल का प्रयोग नहीं किया जाए। स्थानीय मछलियों की प्रजातियों के जर्म प्लाज्म का पुनर्स्थापना एवं संरक्षण किया जाए। बिहार मत्स्य जलकर प्रबंधन अधिनियम 2006 के कंडिका 13 में खुले जल स्रोतों में मत्स्य उत्पादन एवं उत्पादकता को बनाए रखने के लिए निम्न प्रतिषेध घोषित है।
15 जून से 15 अगस्त तक समय अवधि में मत्स्य शिकार माही प्रतिषेध रहेगी। 4 सेंटीमीटर से कम का फासा जाल गिल नेट नदियों में प्रतिषेध होगा। पालने वाली मछलियों के किसी भी नस्ल की अंगलिकाओं की शिकार माही प्रतिषेध होगी। शिकार माही हेतु डायनामाइट या विस्फोटक पदार्थ जहर अथवा अन्य जहरीले पदार्थ का उपयोग प्रतिषेध होगा। प्रकृति ने मुझे जो प्राकृतिक संसाधन दिया हैं उसे वापस करने का समय आ गया हैं। जिला पदाधिकारी, सारण के अध्यक्षता में इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जिला परिषद, सारण के अध्यक्षा, उपविकास आयुक्त, सारण, उप मत्स्य निदेशक सारण परिक्षेत्र. प्रखंड विकास पदाधिकारी, रिविलगंज, रिविलगंज प्रखंड के मुख्य पार्षद एवं जिले के विभिन्न प्रखंडों के मत्स्यजीवी सहयोग समिति के मंत्री एवं सदस्य उपस्थित थे। कार्यक्रम में प्रदीप कुमार, जिला मत्स्य पदाधिकारी के अलावा राम विचार माझी योजना प्रभारी, श्यामबाबू कुमार, रंजय प्रकाश पासवान, अंकित श्रीवास्तव, संतोष कुमार, मत्स्य प्रसार पदा० नरेंद्र कुमार, राजु कुमार, अख्तर हुसैन, अमृता रंजन, चंचला, आस्था मिश्रा, मत्स्य विकास पदाधिकारी, श्रवण पंडित, कनीय अभियंता अजीत कुमार, आई० टी० सहायक उच्च वर्गीय लिपिक, शिवमंगल मॉझी, सुखराम मत्स्य बीज हैचरी के मालिक श्री सुखराम साह, सुशील कुमार सुमन आदि सैकड़ो लोग उपस्थित थे।