आजादी के आप पुरोधा: महात्मा गाँधी
✍️किरण बरेली
हमें दिया आजादी आपने बिन खड्ग बिन ढाल।
गांधी अब तुम न आना इस देश में।
जहाँ बार बार मिल रही गुलामी,
अब आग नहीं सुलगती क्रान्ति की,
अभिव्यक्ति की आजादी की,
अब लहु बन रहा पानी है।
नौजवानो की झुलस रही जवानी है।
वो अनमोल लाठी जाने कहाँ खो गयी।
जिसने अंग्रेजो को पीटा था
अब तो केवल बंदूके हैं
जिसकी गोली भाई ही भाई को
मार रहा है।
ओ सावरमती के संत ना आना
लौट कर इस धरती पर।
जहाँ कदम कदम पर रक्त,
सना है अपनो का
मुरझाए सपनो का
सत्य अहिंसा की बातों पर ना
मिटने वाला ग्रहण लगा है।
सच्चाई पर सौ। सौ पहरे
झूठ छलावों के मेलों में
सत्य बिक रहा पल। प्रतिपल।
चरखा खादी वाले प्यारे बापू
भारत को गाँवो में,
बसते देखा था आपने,
अब गाँव की उन गलियों में,
ना आना बापू
जहाँ खेतों में फसलों के बदले
लाशे बिछ रही अन्नदाताओं की
कर्ज से बदहाल जिंदगी
टुटी कमर लिए जाने कितने,
रामू काकाओं की साँसे भी,
गिरवी पड़ी है ठेकेदारो के घर।
गाँव चौपालो की,
सरल सुगमता अनाथ हो गई।
विशाल नीम पीपल और बरगद,
कट चले उजाड़ हुई है बस्ती।
तुमने जब अपने त्यागे थे प्राण
तब केवल वो हत्यारा था।
जहरीली आज फिज़ाओं में
अनेकों हत्यारों ने जनम ले लिया है।
तुम कैसे सब बर्दाश्त करोगे
आपके दिल में बसता था प्यारा।
न्यारा सा हिन्दुस्तान
खो गया है अब वो नक्शा
कहाँ? कहाँ तलाशोगे?
अच्छा है बापू,
तुम देवलोक में लीन हो गए।
करूणा की जलधार थे बापू
सांस साँस तुम्हें अर्पण है
शत शत नमन वंदन प्रणाम है।
आपके चरणों की वंदना करते हैं।