गुरु पूर्णिमा के अवसर पर अद्भुत काव्य गोष्ठी का हुआ आयोजन!
मीडिया प्रभारी—मंजु बंसल, बैंगलोर
बेतिया (बिहार): दिव्यालय साहित्य यात्रा पटल पर गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर पटल साधकों द्वारा अपने आध्यात्मिक व साहित्यिक गुरुओं को श्रद्धा-सुमन अर्पित करने हेतु सूचना तंत्र के आभासी पटल पर अकस्मात् एक लाजवाब काव्य गोष्ठी का चार बजे आयोजन किया गया, जिसका पूरा श्रेय पटल की नियमित साधिका सुचिता रूंगटा साईं व सविता खंडेलवाल भानु को जाता है। साथ ही सभी गुरुजनों को भी श्रेय मिलता है, जिन्होंने हम तुच्छ साधकों की अनुनय को स्वीकार कर पटल को अपना बेशक़ीमती समय प्रदान किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ रीता लोधा जी के आग़ाज़ से हुआ। वरिष्ठतम साधक आ. पद्माक्षि शुक्ल के कर-कमलों द्वारा दीप प्रज्वलन किया गया। तदुपरांत पटल गुरु मनीषा अग्रवाल रक़्स ने शास्त्रीय नृत्य के माध्यम से गुरु के प्रति अपनी निष्ठा प्रकट कर सबके मंत्रमुग्ध कर दिया। शुचिता नेगी ने सुमधुर वाणी में गणेश वंदना व माँ वीणापाणी की स्तुति की एवं गुरुजनों के लिये स्वागत गीत प्रस्तुत कर सभी गुरुजनों को भाव विभोर कर दिया। कार्यक्रम की आयोजिका सुचिता रूंगटा साईं ने भी दोहों के रुप में गुरु के प्रति अपनी निष्ठा व समर्पण भाव को प्रकट किया।
काव्य गोष्ठी में सविता वर्मा उषा, डॉ. मधु रूंगटा, पायल अग्रवाल छनक, ममता अग्रवाल, संगीता जायसवाल, सुजाता सिंह, कमला सिंह, सुचिता रूंगटा साईं, सविता खंडेलवाल भानु, माहेश्वरी कनेरी, मनीषा अग्रवाल प्रज्ञा, अरूणा अग्रवाल, सुजाता देवी, प्रज्ञा शर्मा व जनार्दन शर्मा, सभी साधकों ने विभिन्न छंदों में शानदार काव्य पाठ कर सभी को मंत्रमुग्ध कर गुरुजनों को गुरु दक्षिणा के रुप में अपने मनोभावों को प्रकट कर आह्लादित कर दिया।
साधकों के बाद पटल संस्थापिका व्यंजना आनंद मिथ्या व पटल गुरुजनों ने भी अपने गुरु को शब्दों व छंदों के माध्यम से श्रद्धा भाव प्रकट किये। सर्वप्रथम व्यंजना आनंद मिथ्या ने बताया कि गुरु हमारे भीतर के तत्व को उद्वेलित कर उन्हें प्रकट करने का मार्ग बताते हैं। गुरु हमारे मन के अंधकार को दूर कर जीवन को रोशन कर देते हैं। उन्होंने भी अपनी मृदुल वाणी में लाजवाब काव्य पठन कर अपने गुरु के प्रति अपनी निष्ठा को प्रकट किया और बताया कि दिव्यालय उनके गुरु की ही कल्पना है, जिसे वो साकार रुप देने का प्रयत्न कर रही हैं।
राजकुमार छापड़िया, नरेंद्र वैष्णव सक्ति , राजश्री शर्मा, निशा अतुल्य, रश्मि मोयदे दीप्ति, कविता झा काव्या, सुषमा शर्मा अणिका, मंजरी निधि गुल, अनुराधा पारे, मनीषा अग्रवाल रक्स—सभी गुरुजनों ने अपने उद्बोधन में अपने गुरुजनों के प्रति समर्पण भाव प्रकट करते हुये विभिन्न छंदों में लाजवाब काव्य पाठ कर हमारा मार्गदर्शन किया। उन्होंने यह भी बताया कि आज वो जिस पद पर हैं या उन्होंने जो कुछ भी सीखा है उसका श्रेय व्यंजना आनंद मिथ्या को जाता है, जिन्होंने अथक प्रयासों से सभी गुरुजनों का मार्गदर्शन कर उन्हें उच्च सोपान प्रदान किया। रीता लोधा ने अपने शानदार संचालन से सबको मोह लिया। अंत में कार्यक्रम संयोजिका सुचिता रूंगटा साईं ने तथा प्रेम शर्मा जी ने सबका धन्यवाद ज्ञापन कर कार्यक्रम समापन की घोषणा की।