मजदूर दिवस पर विशेष
मजदूर
✍🏻अजय सिंह 'अजनवी'
दिन भर काम करके
चैन की नींद सोते है
मजदूर।
जिस दिन काम नहीं मिलता
भूखे पेट सो जातें है मजदूर।
जब भूख बर्दाश्त नहीं होती
अपनी पेट मडोड़ लेते है मजदूर।
जब कभी जुल्म होती है उनपर
अपनी किस्मत पर रोते है मजदूर।
उनकी मेहनत खरीदने बालों
उनकी शरीर को निचोड़ लेते है,
अजनबी पर कभी उफ़ भी नहीं
नहीं कहते मजदूर।
वाह रे मजदूर।
बिना तुम्हारे कोई
कोई काम भी नहीँ होती मजदूर।
फिर भी फिदरत येसी की कोई भी
तुम्हारी कद्र नहीँ करतें मजदूर।
ये दुनिया बहुत स्वार्थी है मजदूर।