अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष में राम जानकी संस्थान दिल्ली द्वारा आयोजित हुआ राष्ट्रीय कवियित्री सम्मेलन!
/// जगत दर्शन न्यूज़
नागपुर (महाराष्ट्र): आरजेएस आजादी की अमर गाथा 137में महिला सेनानियों को एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि देते हुए नई दिल्ली द्वारा आनलाइन रंगों का मस्त त्यौहार होली व महिला दिवस विभिन्न राज्यों की साहित्यकार और कवियित्रियों के द्वारा एक भव्य कवियित्री सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसकी संचालिका नागपुर महाराष्ट्र की प्रसिद्ध कवियित्री सरोज गर्ग रही। वहीं मुख्य अतिथि रही प्रसिद्ध कवियित्री तथा नागपुर महाराष्ट्र की संस्था हिंदी महिला समिति की अध्यक्षा रति चौबे और अध्यक्षता कर रही थी साहित्यकार, कवित्री चंद्रकला भरतिया। उक्त कार्यक्रम में सभी कवियित्रियों ने एक से एक भावपूर्ण नारी व होली पर कविताएं व गीत प्रस्तुत किए। कुछ सुंदर झलकियां --डा,शीला भार्गव नागपुर, के बोल रहे--
मुझ में सागर आज खिला है ,
अब रूपरंग मेरा संवरा है--
संचालिका कवियित्री सरोज गर्ग ने मीठी सी आवाज़ में होली गीत गाया-
फागुन के रंग उड़े
चूनर के संग उड़े होली पे..
तो फिर रश्मी मिश्रा भी चहक उठी --
प्रीति हृदय पे कुछ यूं छाई,
महक रहा मन जैसे कविता-
और प्रसिद्ध नागपुर की कवियित्री प्रभा मेहता की कविता ने भी सबका मन मोहा।
नवोदित कवियित्री गीता शर्मा ने जोरदार शब्दों में कविता पाठ किया-
हर क्षेत्र में कर रही प्रगति नारी,
भूलकर अपनी पूर्व स्थिति,
संसद से लेकर अंतरिक्ष,
नारियों का ही बोल बाला है।
अंत में मुख्य अतिथि रति चौबे ने कहा कि केवल 8 मार्च ही क्यों ? रोज क्यों नहीं मनाया जाता महिला दिवस। महिला दिवस के दिन घटी सत्य घटना को
काव्य में प्रस्तुत कर आंखें नम कर दी।
आखिर कब तक नारी आज भी,
मानसिक व शारीरिक रुप से,
बलात्कार का शिकार होती रहेगी,
मन में कई प्रश्न उठते -
क्या यूं ही बहुएं जलती रहेगी,
कब तक भूखे भेड़िए शिकार
ढूंढते रहेंगे,
कब तक सड़को पे लाशें मिलती रहेगी, कबतक नारी जागृति के आंदोलन होते रहेंगे,
कब तक? कब तक?
आखिर कब तक-- ?
अपने अध्यक्षीय भाषण में चंद्र कला भरतिया ने नारी पुरुष की समानता पर बोलते कार्यक्रम समाप्त किया। अंत में सरोज गर्ग ने आभार प्रकट किया।