क्या पंडित गिरीश तिवारी को भी भूल गए प्रशांत किशोर?
सारण (बिहार) संवाददाता मनोज सिंह: महात्मा गांधी की कर्मस्थली भितिहरवा से जन सुराज पदयात्रा की शुरुआत कर माँझी के ऐतिहासिक नमक सत्याग्रह स्थल बरेजा पहुँचे प्रशांत किशोर स्वतंत्रता पण्डित गिरीश तिवारी के स्मारक स्थल पर माल्यार्पण करना भी भूल गए।बरेजा के लोगों को इस बात का बेहद मलाल है। मालूम हो कि 165 दिनों तक छह जिलों की पदयात्रा कर प्रशांत किशोर अपने अमले काफिले के साथ बरेजा के उसरैना खेल के मैदान में अपना पड़ाव डाला था। रात्रि विश्राम के बाद बुधवार की सुबह उन्होंने न सिर्फ प्रेसवार्ता की बल्कि आसपास के गांवों से आये सैकड़ों लोगों के साथ संवाद भी किया लेकिन विश्राम स्थल से महज पांच सौ मीटर पूरब स्थित पण्डित गिरीश तिवारी की प्रतिमा पर पुष्पांजली करने तक कि जहमत नही उठाई। स्थानीय मुखिया राजेश पाण्डेय तथा पण्डित गिरीश तिवारी के पौत्र व अधिवक्ता प्रवीण चन्द्र तिवारी आदि ग्रामीणों ने बताया कि बिहार में सत्तासीन भाजपा व महागठबंधन की नीतियों की चर्चा करने के साथ साथ प्रशांत किशोर को उन स्थलों को भी नमन करना चाहिए था जहां महात्मा गांधी ने नमक सत्याग्रह तथा सत्याग्रह आंदोलन चलाया था।
भारत की आजादी की लड़ाई से जुड़ी स्मृतियों के सम्मान के बिना बिहार की राजनीतिक यात्रा अपूर्ण है। इस बीच बुधवार को प्रशांत किशोर ने स्थानीय पत्रकारों से बातचीत तथा जनता के साथ संवाद के पश्चात मदनसाठ बंगरा मरहा तथा सोनबरसा पंचायत होते हुए जलालपुर प्रस्थान कर गए। उन्होंने बताया कि तीन दिन की सारण यात्रा में उन्होंने यह महसूस किया है कि यहाँ के गांवों की सड़कों तथा नली गली की हालत यथावत है। जिन नहरों में एक दशक पहले पानी आता था वे नहरें सुखी पड़ी हैं। शिक्षा तथा स्वास्थ्य अंतिम सांसें गिन रहे हैं। दलाली तथा अफसरशाही चरम पर हैं। उन्होंने बताया कि कानून ब्यवस्था की बदहाली की चर्चा के साथ साथ लोग एनएच व एसएच तथा गांवों में बिजली की ब्यवस्था में आशातीत परिवर्तन को लोग स्वीकार रहे हैं। एक सवाल के जबाब में उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार में हिम्मत है तो एक बार बोल दें कि लालू परिवार भ्र्ष्टाचार के मामले में दोषी नही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के इर्दगिर्द बैठे महज तीन चार मंत्री व अफसर सरकार चला रहे हैं यही वजह है कि बिहार में भ्र्ष्टाचार व अपराध सिर चढ़कर बोल रहा है। उन्होंने कहा कि मेरी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नही है। जो लोग बिहार को छोड़कर दूसरे प्रदेशों में दर दर की ठोकरें खा रहे हैं तथा उन्हें जलालत की जिंदगी से दो चार होना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि बिहार की मिट्टी का कर्ज चुकाने तथा बिहार में रोजगार का सृजन कर बिहार के लोगों को सम्मान दिलाने के उद्देश्य से अपना घर परिवार छोड़कर गांव के लोगों का दुखदर्द साझा कर रहे हैं।