भूपेश बघेल सरकार छत्तीसगढ़ ने 'पत्रकार संरक्षण' अधिनियम को दी मंजूरी!
अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति से जुड़े हजारों पत्रकारों ने मनाया विजय दिवस!
रिपोर्ट: मनोज कुमार सिंह
सारण (बिहार): एबीपीएसएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष जिग्नेश कलावाडिया के नेतृत्व में पिछले सात वर्षों से की जा रही पत्रकार सुरक्षा कानून की एकसूत्री मांग से प्रभावित होकर छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने मंगलवार को विधान सभा में ऐतिहासिक पत्रकार संरक्षण अधिनियम बिल पारित कर दिया। भारत सरकार के श्रम संसाधन मंत्रालय में पंजीकृत देश के सबसे बड़े पत्रकार संगठन एबीपीएसएस द्वारा राजकोट में आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन में कांग्रेस के नेता भूपेश बघेल द्वारा की गई घोषणा राज्य कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद विधानसभा से पारित होकर अब कानून बन चुका है।
बताते चलें कि पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति विगत वर्षों में गुजरात के राजकोट तथा गांधीनगर छत्तीसगढ़ के विलासपुर तथा सारंगढ़ यूपी के कुशीनगर बिहार के पटना मध्यप्रदेश के इंदौर तथा महाराष्ट्र के मुम्बई में राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित करने के अलावा दिल्ली तथा लखनऊ में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक सहित कई आयोजनों के माध्यम से सरकार पर दबाव बनाने में सफल रही है। भूपेश बघेल सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ में पत्रकार संरक्षण अधिनियम पारित करा लिए जाने का देश भर के हजारों पत्रकारों ने मुख्यमंत्री के कदम को ऐतिहासिक बताते हुए पुरजोर स्वागत किया है तथा शेष अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी छतीसगढ़ सरकार की पहल का अनुसरण करने की मांग की है। राज्य सरकार द्वारा अधिनियम के अध्ययन हेतु सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज के नेतृत्व में समिति का गठन किया गया था, जिसमें एबीपीएसएस के राष्ट्रीय संरक्षक शंकर पाण्डेय, राष्ट्रीय अध्यक्ष जिग्नेश कलावाडिया, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राकेश प्रताप सिंह परिहार, राष्ट्रीय महासचिव महफूज खान तथा प्रदेश अध्यक्ष गोविंद शर्मा सदस्य मनोनीत किये गए थे।
एबीपीएसएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष जिग्नेश कलावाडिया के अलावा राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य अजय प्रताप नारायण सिंह, सर्वेश तिवारी, विद्याभूषण श्रीवास्तव, संजय सिंह, मनोज कुमार सिंह, रत्नाकर त्रिपाठी, मनमोहन सिंह तथा सरोज जोशी आदि ने अधिनियम को आजादी के बाद पत्रकार हित में सबसे बड़ा ऐतिहासिक कदम बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पत्रकारिता का पुनर्मूल्यांकन कर मापदण्ड निर्धारित करने तथा समूचे देश में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू किये जाने की मांग की है।
अधिनियम के पारित हो जाने के बाद क्या किया जाएगा?
अधिनियम के पारित हो जाने के बाद सरकार पत्रकारों के पंजीकरण के लिए एक प्राधिकरण भी बनाएगी। कानून लागू होने के 30 दिनों के भीतर सरकार पत्रकारों को पंजीकृत करने के लिए एक प्राधिकरण नियुक्त करेगी। अपर निदेशक जनसम्पर्क एवं उससे ऊपर के पदधारक को प्राधिकरण का सचिव बनाया जायेगा। इसमें दो मीडियाकर्मी भी होंगे, जिनकी वरिष्ठता कम से कम 10 वर्ष की होगी। इनमें से एक महिला मीडियाकर्मी छत्तीसगढ़ में भी काम करेंगी। अथॉरिटी में शामिल मीडियाकर्मियों का कार्यकाल दो वर्ष का हीं होगा। कोई भी पत्रकार जो इस समय तक दो वर्ष से अधिक समय तक प्राधिकरण का सदस्य रहा हो उसे नामित किया जाएगा।