★ जगत दर्शन साहित्य ★
अइसन उपाय कुछु..: बिजेन्दर बाबू
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लाई खानी बन्हल रहो,सब रिस्ता नाता।
अइसन उपाय कुछु,करऽ ए विधाता।।
लाज हाया छोड़ी लोगवा,बने इज्जतदार
ओसहीं हो गइल बाड़ें, कुछ रिस्तेदार।।
भाई-भाई में बा नाही,कतहीं लगाव।
मरदो के मेहर खालि, देत बाड़ी घाव।।
जून पारला पर नाहीं केहु आपनाता।
अइसन उपाय कुछु करऽ ए विधाता।।
कलजुग के छाप बेटा बाप नहीं जाने।
मेहरी के आगे उहो केहु के ना माने।।
बह भरे खाली उहो ससुरे में जाके।
जवन बा पोसाइल माई बाबुए के खाके।।
पुरूखा पुरनिया पर जुलूम होला ढेर।
बबुआ के भइल बा मुदइयन के फेर।।
करम करें दोसर अउरू दोहरे पेराता
अइसन उपाय कुछु करऽ ए विधाता।।
नेकी बदले बदी मिले, लउके ना अँजोर।
कहिया ले किरिन फुटी, होई नीक भोर।।
आन्हर बने गाइड नाहीं, बूझे कवनो साइड
मटिए के कहेला, डिटर्जेंट हउए टाइड।।
नेकी बदले नेकी करे, ओकर काहाँ मान बा।चोर करे शोर, खाली ओकरे बखान बा।।
देखऽ ना बिजेन्दर हामरा कुछउ बुझाता।
अइसन उपाय कुछु करऽ ए विधाता।।
लाई खानी बँन्हल रहो सब रिस्ता नाता।
अइसन उपाय कुछु करऽ ए विधाता।।
रचना
बिजेन्द्र कुमार तिवारी
🙏बिजेन्दर बाबू🙏
गैरतपुर, माँझी
सारण, बिहार
मो. नंबर:- 7250299200