★ जगत दर्शन साहित्य ★
फिर तहरो तस्वीर....: बिजेन्दर बाबू
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समय के माथा पर लिख दऽ,
तू अपनो तकदीर।
केहु बदल ना पाई बाबू,
फिर तहरो तस्वीर।।
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जीवन के एह जंग में सुन लऽ,
उहे विजय पावेला।
साहस जेकरा साथ समय भी,
ओकरे गुण गावेला।।
हिम्मत करके कदम बढावऽ,
मन में राखऽ धीर।
केहू बदल ना पाई बाबू,
फिर तहरो तस्वीर।।
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मंजिल के एह सफर में सबकर,
दुआ भी राखऽ साथ।
तबे मदद में दिही लोगवा,
तोहरा हाथे हाथ।
आशीर्वाद के फल से तहरो,
पावन रही शरीर।
केहू बदल ना पाई बाबू,
फिर तहरो तस्वीर।।
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कहे बिजेन्दर मानव धर्म के,
हरदम आगा राखऽ।
प्यार भरल वाणी तू हरदम,
आपना मुँह से भाखऽ।।
एही में हीत बड़ूवे सबकर,
बात कहीं गम्भीर।
केहू बदल ना पाई बाबू,
फिर तहरो तस्वीर।।
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रचना: बिजेन्द्र कुमार तिवारी(बिजेन्दर बाबू)