कड़ाके की ठंड से सिकुड़ने लगे लहलहाते सरसों के पौधे, किसान चिंतित
कड़ाके की ठंड से सिकुड़ने लगे लहलहाते सरसों के पौधे, किसान चिंतित
एकमा (बिहार) संवाददाता चंद्रशेखर यादव: कड़ाके की ठंड से आम ल़ोगोंं
का जनजीवन अस्त-ब्यस्त हो ही गया है, अब इस ठंड का प्रकोप सरसों के लहलहाते
पौधों पर भी देखने को मिल रहा है। पौधे एवं फूल सिकुड़ने लगे हैं। जिन
किसानों ने अच्छी एवं अत्याधिक उपज के लिए गेहूं की बजाय सरसों को ही
प्राथमिकता देते हुए इस बार सरसों की ही बोआई करना उचित समझा, वे अब फूलों के
सिकुड़न को देख चिंतित एवं परेशान हो उठे हैं।
किसानों की परेशानी का सबब यह है कि जिस क़दर
कडाके की ठंड पड़ रही है, इससे यह संभावना बढ़ गई है कि शीघ्र ही सरसों के
पौधों पर लाही नामक कीड़ों का प्रकोप होने ही वाला है। ये कीड़े पौधों पर
चिपक कर सारा रस ही चूस लेते हैं एवं फसल बर्वाद हो जाता है।
इधर, किसान सरसों फसल को
लेकर परेशान हैं। सोंचा था महँगें सरसों तेल के चलते सरसों की पैदावार ही
गेहूं से अधिक लाभप्रद होगा। लेकिन ठंडक की मार से सरसों की फसल बर्बादी के
पायदान पर पहुंच गयी है, तो दूसरी ओर बिहार के कृषि वैज्ञानिक एवं बिहार
राज्य कृषि विभाग कुम्भकर्णी नींद्रा में तल्लीन है। इस आपात अवसर पर कृषि
वैज्ञानिक ऐसे चिंतित किसानों को सुरक्षात्मक कोई सुझाव देना उचित नहीं
समझते।