★ जगत दर्शन साहित्य ★
◆ काव्य जगत ◆
नया साल तुम ऐसे आना
प्रिया पांडेय 'रौशनी'
नया साल तुम ऐसे आना ,
सबके दुःख को समेट कर,
पूरे जहां में खुशियां बिखेरना,
नया साल तुम ऐसे आना,
पूरी दुनियां के अंधेरों को मिटा कर,
सारी दुनियां में रोशनी फैलाना,
नया साल तुम ऐसे आना,
ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध सब दूर कर,
सबके दिलों में प्रेम ही प्रेम बसाना,
नया साल तुम ऐसे आना,
सबको सही दिशा दिखाकर,
हर किसी की निशा चंद्रमा जैसी प्रकाशित करना,
नया साल तुम ऐसे आना,
ऑमिक्रोन, कोरोना,से मुक्ति दिला कर,
चारों तरफ़ भागवत गीता, रामायण का पाठ पढ़ाना,
नया साल तुम ऐसे आना,
दुनियां से रावण राज दूर कर,
पूरे विश्व में राम राज़ लाना,
नया साल तुम ऐसे आना,
देश की निर्धनता, भूख को तृप्त कर,
हर किसानों को अनाजो से भर देना,
नया साल तुम ऐसे आना,
नए -नए लक्ष्य को अपना कर,
जिन्दगी से लड़ना सीखा देना,
नया साल तुम ऐसे आना,
प्रेम की मुररीया जहां में बजा कर,
जहां राधे -राधे बरसाना।
प्रिया पाण्डेय रोशनी
हुगली, पश्चिम बंगाल