★★ जगत दर्शन साहित्य ★★
विधा-कहमुकरी : रानू मिश्रा अजिर
अंग प्यार से हमें लगाये।
सुंदर जीवन सरल बनाये॥
जन्म सफल मेरे हो जाता।
हे सखि प्रिततम, नहि सखि माता॥१
सत्य बात प्रेरक है लगती।
जीवन मंजिल सी है मिलती॥
अंत वही है वही है
शुरू।
हे सखि ईश्वर, नहि सखि गुरू॥२
जो जाने मन की पहचाने।
आस दिखाये नये पुरानें॥
सुंदर वाणी सबने मानी।
हे सखि दानी, नहि सखि ज्ञानी॥३
सदा सर्वदा करती सेवा।
सूरत उसकी लगती देवा॥
भोजन जल सब विधि वह धरनी।
हे सखि पत्नी, नहि सखि जननी॥૪
धीमी बूंदें धरती
गिरती।
धरा नमी सी काई दिखती॥
बंद करे क्षण-क्षण जन मोहरा।
हे सखि बारिश नहि सखि कोहरा॥५
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रचना : रानू मिश्रा अजिर