दस वर्षों से मानदेय में वृद्धि नहीं
16 वर्षों की राजकीय सेवा के बाद भी स्थाई नहीं हुये विशेष शिक्षक
जगत दर्शन न्यूज, रणजीत जीनगर सिरोही(राजस्थान) संवाददाता रणजीत जीनगर: महामहिम राष्ट्रपति माननीय रामनाथ कोविद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री अशोक (राजस्थान सरकार), भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी नड्ढा तथा कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी को मेल व पत्र लिखकर राजस्थान के दिव्यांग बच्चों को पढाने वाले 200 विशेष शिक्षकों की पीड़ा को भारतीय मजदूर संघ के वरिष्ठ कर्मचारी नेता गोपालसिंह राव ने ध्यान में लाने हेतु पत्र लिखकर मेल किया। राव के अनुसार सर्व शिक्षा अभियान में लगे विशेष शिक्षक 16 वर्ष की राजकीय सेवा के बाद भी समायोजित नहीं किए गए है। शिक्षा को मुख्यधारा में दिव्यांग बालकों से जोड़ने वाले विशेष शिक्षक पिछले 10 वर्षों से मानदेय वृद्धि की प्रतीक्षा कर रहे हैं। राजस्थान सरकार का दोहरा मानदंड यह है कि समाज कल्याण विभाग में संचालित विशेष विद्यालयों के विशेष संदर्भ व्यक्ति शिक्षकों को 30 हजार मानदेय बजट घोषणा 2021 के अनुसार एक अप्रैल 2021 से लागू किया। जबकि समग्र शिक्षा में लगे संदर्भ व्यक्ति को मात्र आज भी 11 हजार देकर उनका शोषण किया जा रहा है। पिछले 10 वर्षों से कोई मानदेय में वृद्धि नहीं होने से विशेष शिक्षकों में रोष है। एक विभाग, एक जिला, एक ऑफिस, एक नियम होते हुए भी आला अधिकारियों ने आंख मुंद रखी है। एक ही ऑफिस में कम्प्यूटर ऑपरेटरों, सहायक कर्मचारियों, लिपिकों तथा कनिष्ठ अभियंताओ को हर वर्ष मानदेय वृद्धि दी जा रही है। छुट्टियां सहित सभी परिलाभ भी मिल रहे है। दूसरी तरफ सर्व शिक्षा अभियान में लगे 200 विशेष शिक्षक इन सब सुविधाओं से वंचित रखे जा रहे है। कोविड-19 में जब ऑफिस बंद थे, तो मानदेय कर्मी, कुक कम हेल्पर, आंगनवाडी कार्यकर्ता, सहायिका, ओपरेटर सहित सभी को मानदेय दिया गया, लेकिन संवेदनशीलता का स्वांग रचने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, शिक्षा मंत्री बी.डी.कल्ला ने गुहार के बावजूद भी इन विशेष शिक्षकों की एक भी नहीं सुनी। सरकार इनके मानदेय में वृद्धि करके, सरकार सेवा अनुभव को आधार मानकर विशेष शिक्षकों के रिक्त पदों पर विशेष प्रबोधक बनाकर सम्मानजनक बुढ़ापा गुजारने की संजीवनी दे सकती है। सम्मानजनक मानदेय वृद्धि की मांग को लेकर 200 विशेष शिक्षक 16 वर्ष से लगातार संघर्ष कर रहे है। इनको हर वर्ष ग्रीष्मावकाश में निकाल दिया जाता है तथा विद्यालय खुलने पर वापस लगा दिया जाता है। यह निकालने और कार्य पर लगाने का खेल 16 वर्षों से जारी है। प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से लगे यह 200 विशेष शिक्षक राजस्थान में पीड़ित और प्रताडना की पराकाष्ठा झेल रहे है। जिनकी राजस्थान सरकार तथा अधिकारी कोई भी सुध नहीं ले रहे हैं। उनका वर्तमान दुःखदाई है साथ ही स्थाई नहीं होने से उनका बुढ़ापा भी दुखदाई होने की पूरी संभावनाएं हैं। राज्य के 200 परिवारों का भविष्य गर्त में सरकार धकेल रही है। राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ (भामसं )के मीडिया प्रभारी गोपाल सिंह राव ने राजस्थान सरकार से 200 विशेष शिक्षकों को स्थायीकरण का मानदेय 32 हजार करते हुये नियमित करने की गुहार की।