★★ जगत दर्शन साहित्य ★★
◆ काव्य जगत ◆
● सब धर्मों का मूल ●
बिजेंद्र कुमार तिवारी (बिजेन्दर बाबू)
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दूषित हुआ मानव यहां,
लेकर दूषित विचार।
धर्म-कर्म सब भूलकर,
करे गलत व्यवहार।।
गलत सोच मत पालिये,
ये अवगुण की खान।
बिगड़े सब आदत सदा,
उपजे उर अज्ञान।।
मन का खोट हटाय के,
मीठी वाणी बोल।
स्वच्छ भाव से तू सदा,
बातों में रस घोल।।
बूँद बूँद अनमोल है,
करना मत बेकार।
बूंँद बूँद जल से बने,
ये सुखमय संसार।।
सादा जीवन गांव का,
सीधे-सादे लोग।
शुद्ध और सद्भाव से
रोज लगाते भोग।।
धन दौलत की आड़ में,
धूमिल होता स्नेह।
लोभ मोह अरू काम में,
डूबा मानो देह।।
सत मानव व्यवहार ही,
है जग में अनमोल।
इसको सुन प्यारे कभी,
दौलत से मत तोल।।
धन दौलत की चाह में,
ये मत जाना भूल।
मानवता सबसे बड़ी,
सब धर्मों का मूल।।
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बिजेन्द्र कुमार तिवारी
(बिजेन्दर बाबू)
गैरतपुर, मांझी
सारण, बिहार
मोबाइल नंबर:- 7250299200
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