लालच और द्वेष से मुक्त हो कर भाईचारे के साथ रहें
माँझी (बिहार) संवाददाता मनोज सिंह: दशहरा का पर्व सकुशल सम्पन्न हो गया। धनतेरस दीपावली पवित्रता का प्रतीक छठ भैया दूज तथा गोवर्धन पूजा आदि पर्व के साथ साथ लग्न का मुहूर्त भी आ रहा है। हम सबके घरों की साफ सफाई का कार्य भी युद्धस्तर पर चल रहा है। स्वाभाविक रूप से सबकी ब्यस्तता बढ़ गई हैं। अचानक से खर्चे भी बढ़ गए हैं। आप सब भी अच्छी तरह जानते हैं कि देश की अस्सी फीसदी सम्पत्ति अथवा धन रकम। महज बीस प्रतिशत लोगों के पास मौजूद है। ठीक इसके विपरीत अस्सी फीसदी देश की जनता महज बीस प्रतिशत धन के सहारे अपना पेट भरने अथवा आजीविका चलाने को मजबूर है। वैश्विक महामारी कोरोना तथा अप्रत्याशित बरसात के दौर से हम सब हाल फिलहाल उबरे हैं। खासकर किसानों और मजदूरों की परेशानी आजादी के बाद सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। स्वाभाविक रूप से समाज का बहुसंख्यक तबका अबतक की सबसे बड़ी तंगहाली के दौर से गुजर रहा है। सरकार चाहे जितने दावे कर ले परन्तु यह कटु सत्य है कि बहुत ही गम्भीर चुनौती से हमारा समाज जूझ रहा है। आप खुद आकलन कीजिये आपके आसपास आपके कितने करीबियों की जेब में अथवा उनके खातों पर सैकड़ों या हजारों रुपये हैं। केवल दस लोगों से पता कीजिये हकीकत पता चल जाएगा। नौकरी पेशा और दुकानदारों को छोड़कर कितनों के पास कितना नकद उपलब्ध है। जरूर पता कीजिये। आदतन लोग खुद को खुशहाल तो बताते हैं पर हकीकत से रूबरू होते ही आपके होश उड़ जाएंगे। वर्तमान समाज में बहुत बेचारगी है। यह बात अलग है कि उस बेचारगी के कारणों में सरकार की नीतियों के साथ साथ हम खुद भी बराबर के हिस्सेदार हैं।
हम सब चुकी सामाजिक प्राणी हैं। पड़ोसी के घर से आग मांगकर अपने पेट की आग बुझाने के लिए चूल्हा जलाने की सामाजिक परम्परा हम सबने देखी है। एक बार फिर से उस परम्परा को सुलगाना है, ताकि पर्व त्योहार के अवसर पर किसी पड़ोसी को उपवास रहने की नौबत न आये। नए कपड़े के लिए किसी गरीब बृद्ध महिला अथवा नौनिहाल की आंखों में आंसू न आ जाय इसका ख्याल रखना है। अक्सर हम सब अपनी अमीरी के शिखर पर बैठकर गरीबी को अनदेखा किया करते हैं। पर याद रहे अमीरी की अकड़ तबतक ही रहती है जबतक गरीब उसे निहारता है। अपनी अट्टालिकाओं को दूधिया रौशनी से नहला कर पर्व का आनंद जरूर लें भरपूर लें, पर साथ ही साथ गरीबों के दिल में भी प्यार का दीपक जलाते चलें। जिंदगी अनमोल है खुश रहें खुश रखें।