"शिक्षक" का जहां आदर है वह राष्ट्र निखरता हैं
शिक्षक दिवस : प्रिया पांडेय 'रौशनी'
शिक्षक कोई सामान्य व्यक्ति नहीं हैं,
वह तो एक रचनाकार होता हैं!
जो गिली मिट्टी को सवारना चाहता है,
उसने ही विवेकानन्द को रचाकर रचनाकार बनाया,
वह एक साचाकार होता हैं,
जो मानव को महानपुरुष बनाता है,
और राष्ट्र के रत्नों को नवरत्नों में शामिल करवाता है,
छात्र-छात्राओं को सच्चा इंसान बनाता है,
माँ के बाद दूसरा गुरु 'शिक्षक' होता हैं,¡
उसकी सोच पर चरित्र पर राजा -महाराजा सिर झुकाते हैं,
संसार के उलझे सवालों के जवाब ढूंढते हैं,
'शिक्षक -दिवस ' तभी पुरा होगा,
जब शिक्षक का मूल्य समझा जायेगा,
"शिक्षक" का जहां आदर है वह राष्ट्र निखरता हैं !
प्रिया पाण्डेय 'रोशनी'
संपादिका
जगत दर्शन साहित्य