डॉ सत्या होप टॉक, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ सत्य प्रकाश जी ने आवाज लगाई है नारी सशक्तिकरण के लिए और उनकी बोलने की क्षमता को बढ़ाने के लिए... साहित्य के द्वारा और उनके मन की बात जन जन की बात बनाने के लिए.. आइए सुने उनकी रचना।
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
क्यों लिखती हो मन की बातें.....●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
क्यों लिखती हो मन की बातें...
क्यों कर के सुलझाती धागे...
निश्चित खोज रही तुम भी...
मन की बातें... जन की बातें...
तुमने आज लिखा ऐसा क्यों...
क़्या कुछ वक्त मिला था तुमको..
निश्चित ही तुम खाली बैठी...
मेरी ओर....नहीं देखी हो..
आओ मन की बातों का एक..
सुन्दरतम सोपान गढ़ा है..
कवि के साथ कॉफी ही वैसा...
एक सुन्दर अभिमान रचा है...
तेरे ही विस्तार से उपजा...
तेरे मन के भी लायक है..
चलो कल से तुम कहना...
जो कुछ मन मे रखा पड़ा है...
रोज रोज तुमको मिलना है...
क्षण क्षण का ही मन रखना है...
बस कल से तुमको कहना है..
बस कल से तुमको कहना है..
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
डॉ सत्य प्रकाश.
प्रोफेसर सह वैज्ञानिक
काशी हिंदू विश्वविद्यालय
वाराणसी