निराश मत हो ! वक्त जरूर बदलेगा !
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तख्त बदल जाते हैं कितने ताज बदल जाते हैं
जाने कितने राजाओं के राज बदल जाते हैं
कभी निराशा तुम अपने दिल में न आने देना !
कभी कभी अंजाम कभी आगाज बदल जाते हैं
नियोजित शिक्षको निराशा छोड़ो ! तुममें ईश्वर की असीम ऊर्जा है !
इतने डरे डरे से क्यूँ हो !
जिन्दा हो पर मरे से क्यूँ हो ?
हे नियोजित शिक्षको सारी दुनिया दौड़ रही है,
पर तुम खड़े खड़े से क्यों हो !
नियोजित शिक्षकों पैर हैं गर तो दौड़ लगाओ
नियोजित शिक्षकों अपनी किस्मत खुदी बनाओ,
रोने से कुछ भी मिलता न ,
अपना हक़ तुम छीन के लाओ !
हे नियोजित शिक्षकों यूँ बीमार पड़े से क्यों हो ?
मुँह पे ताले जड़े से क्यों हो ?
हे नियोजित शिक्षकों तुम ही शक्तिमान हो,
फिर यूँ बेसुध पड़े से क्यूँ हो ?
हे नियोजित शिक्षकों एक दूजे से हाथ मिलाओ ,
गिरे कोई नियोजित शिक्षक ,तुम सब मिलकर उसे उठाओ !
बदलेगी तस्वीर नियोजित शिक्षकों की फिर से,
आपस में तुम लड़े से क्यूँ हो ?
हे नियोजित शिक्षकों तुम ही शक्तिमान हो , एक बार तुम ठान लो तो नेतृत्व भी बदल दोगे
फिर यूँ बेसुध पड़े से क्यूँ हो ?
आपका साथी
आशीष सिंह
【नियोजित शिक्षक】
मोतिहारी(बिहार)
9504219000