सोचिला
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सोचिला कबो की हम फूल बन जाइ
सोचिला कबो की हम माँग के सेनुर बन जाइ
सोचिला
हमरा लागत बा कि सोचते सोचते
शायद ई समईया निकल जाई
हो सकी तो तहार हमार संग छूट जाई
बाकिर फेरु हम सोचिला
भगवान हमरा के भेजले बाड़े तोहरे खातिर
अतने ना
तोहरो के बनवले बाड़े हमरे खातिर
हम सोचिला
हमनी के बीचवा में केहू दीवाल ना बन जाये
तहरा के हमरा से बिछड़ा के केहू ले ना जाये
बाकिर हम जानिला
तू हमार संग ना छोड़ बु
इहँवा ना तो उहवाँ जरूर मिलबु
येही खातिर हम सोचिला
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अजय सिंह अजनवी
छपरा