कालाजार मुक्त होने की दहलीज़ पर सारण, डब्ल्यूएचओ की टीम ने डोज़ियर प्रिपरेशन की परखी तैयारी
• कालाजार उन्मूलन का वैज्ञानिक सबूत बनेगा डोज़ियर
• तीन साल की सफलता, अब वैश्विक मुहर की बारी
• सारण में विश्व स्वास्थ्य संगठन टीम ने की डोज़ियर की गहन समीक्षा
सारण (बिहार): कालाजार उन्मूलन की दिशा में बड़ी उपलब्धि हासिल कर चुके सारण जिले के लिए अब अगला और निर्णायक कदम प्रमाणन (सर्टिफिकेशन) की ओर बढ़ना है। इसी उद्देश्य से जिले में कालाजार डोज़ियर प्रिपरेशन का कार्य तेज़ी से किया जा रहा है, जिसे उन्मूलन का वैज्ञानिक आधार माना जाता है। इस प्रक्रिया की गुणवत्ता और तकनीकी मजबूती की समीक्षा के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की टीम ने सारण जिला का भ्रमण कर संबंधित अधिकारियों और कर्मियों के साथ विस्तृत चर्चा की। जिले में कालाजार उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रहा है। सारण जिला न केवल कालाजार उन्मूलन का लक्ष्य हासिल कर चुका है, बल्कि इसे लगातार तीन वर्षों तक बनाए भी रखा है। अब जिले को औपचारिक रूप से “कालाजार मुक्त” घोषित कराने के लिए डोज़ियर प्रिपरेशन किया जा रहा है, जिसके आधार पर राष्ट्रीय स्तर और डब्ल्यूएचओ द्वारा सर्टिफिकेशन दिया जाएगा। इस मौके पर जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह, जिला वेक्टर रोग सलाहकार सुधीर कुमार, पिरामल के एसपीएल चंदन कुमार, सीफार के डीपीसी गनपत आर्यन, वीडीसीओ सतीश कुमार, पंकज कुमार तिवारी, मीनाक्षी, सुमन समेत सभी वीबीडीएस मौजूद थे।
तकनीकी चुनौतियों और रिपोर्टिंग की गुणवत्ता को लेकर महत्वपूर्ण सुझाव
इसी क्रम में डब्ल्यूएचओ की टीम ने सारण जिले में चल रहे कालाजार डोज़ियर प्रिपरेशन के कार्यों की समीक्षा की। टीम में डब्ल्यूएचओ के कालाजार डोज़ियर प्रिपरेशन की नेशनल कोऑर्डिनेटर डॉ. पल्लिका सिंह तथा मुजफ्फरपुर की जोनल कोऑर्डिनेटर डॉ. माधुरी देवराजू शामिल थीं। टीम के सदस्यों ने जिले के वीडीसीओ और वीबीडीएस कर्मियों के साथ बैठक कर कालाजार डोज़ियर चेकलिस्ट पर विस्तार से चर्चा की। इस दौरान डोज़ियर प्रिपरेशन में आने वाली तकनीकी चुनौतियों, डाटा संग्रहण, डाटा सोर्स और रिपोर्टिंग की गुणवत्ता को लेकर महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए गए।
डब्ल्यूएचओ टीम ने बताया कि कालाजार डोज़ियर प्रिपरेशन के तहत वर्ष 2018 से लेकर 2026 तक के सभी प्रासंगिक आंकड़ों को क्रमबद्ध और प्रमाणिक रूप से संकलित किया जाना है। इसमें जिले में पाए गए कालाजार के मामलों की संख्या, समय पर इलाज, दवाओं एवं जांच की उपलब्धता, प्रखंडवार सर्विलांस रिपोर्ट, घर-घर कीटनाशक छिड़काव, बीमारी की रोकथाम और जन-जागरूकता से जुड़ी गतिविधियों का विस्तृत विवरण शामिल होता है।
कालाजार मुक्त की ओर सारण:
इस अवसर पर जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने कहा कि सारण जिला ने कालाजार उन्मूलन के लक्ष्य को सफलतापूर्वक प्राप्त कर लिया है और इसे तीन वर्षों तक बनाए भी रखा है। अब सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया के लिए कालाजार डोज़ियर प्रिपरेशन किया जा रहा है, जो जिले के लिए बेहद महत्वपूर्ण दस्तावेज है। उन्होंने स्पष्ट किया कि डोज़ियर तैयार करना केवल कागजी औपचारिकता नहीं, बल्कि यह जिले में कालाजार नियंत्रण, उपचार, निगरानी और रोकथाम से जुड़े हर प्रयास का ठोस प्रमाण होता है।
उन्होंने कहा कि कालाजार डोज़ियर वह आधारशिला है, जिसके बिना किसी भी जिले को कालाजार मुक्त घोषित नहीं किया जा सकता। यह न केवल उपलब्धियों का रिकॉर्ड है, बल्कि यह दर्शाता है कि जिले ने जमीनी स्तर पर बीमारी से निपटने के लिए कितनी गंभीरता से कार्य किया है। भविष्य में मिलने वाली मान्यता, पुरस्कार और प्रमाणन भी इसी डोज़ियर की गुणवत्ता पर निर्भर करते हैं।
डब्ल्यूएचओ की नेशनल कोऑर्डिनेटर डॉ. पल्लिका सिंह ने बताया कि कालाजार डोज़ियर एक विस्तृत रिपोर्ट होती है, जिसके आधार पर केंद्र सरकार और डब्ल्यूएचओ यह निर्णय लेते हैं कि संबंधित जिला कालाजार उन्मूलन के सभी मानकों को पूरा करता है या नहीं। डोज़ियर में न केवल उपलब्धियां दर्ज होती हैं, बल्कि अभियान के दौरान आई चुनौतियों और उनके समाधान का भी उल्लेख किया जाता है, ताकि भविष्य में रोकथाम की रणनीतियों को और मजबूत किया जा सके। डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने सभी स्वास्थ्यकर्मियों और फील्ड स्टाफ को निर्देश दिया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में किए गए कार्यों का सटीक और समयबद्ध रिकॉर्ड रखें। किसी भी स्तर पर लापरवाही न केवल डोज़ियर प्रिपरेशन, बल्कि जिले के कालाजार उन्मूलन प्रमाणन की प्रक्रिया को भी प्रभावित कर सकती है।
क्यों जरूरी है कालाजार डोज़ियर प्रिपरेशन?
• उन्मूलन के दावे का वैज्ञानिक और प्रमाणिक आधार
• राष्ट्रीय एवं WHO टीम के समक्ष प्रखंडवार समीक्षा प्रस्तुत करना
• जिले में कालाजार नियंत्रण की वास्तविक स्थिति का दस्तावेजीकरण
• भविष्य में बीमारी की रोकथाम के लिए ठोस रणनीति तैयार करना

