टीडीएस घोटाले में भोजपुरी गायक भरत शर्मा व्यास दोषी, धनबाद की CBI अदालत ने सुनाई दो साल की कठोर सजा
धनबाद (रांची) फर्जी टीडीएस रिफंड घोटाले के लगभग दो दशक पुराने प्रकरण में धनबाद स्थित विशेष CBI अदालत ने भोजपुरी गायक भरत शर्मा व्यास को दोषी करार देते हुए दो वर्ष का कठोर कारावास और पांच हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई। अदालत ने इसी मामले में सह-आरोपी सत्यवान और नम्रता को भी समान सजा दी। सीबीआई ने आरोप लगाया था कि वर्ष 1999 से 2002 के बीच आरोपियों ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर आयकर विभाग से 7,82,529 रुपये का अवैध रिफंड लिया था, जिसके समर्थन में अदालत ने दोषसिद्धि दर्ज की। अदालत ने कहा कि टैक्स चोरी और धोखाधड़ी के ऐसे मामलों पर कठोर दंड आवश्यक है ताकि वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित हो सके और कर प्रणाली में विश्वास बना रहे। बचाव पक्ष ने सुनवाई के दौरान तर्क दिया कि मामले में कई वर्षों की देरी तथा रिकॉर्ड की विसंगतियाँ अभियोजन की विश्वसनीयता पर प्रश्न उठाती हैं, पर अदालत ने सीबीआई द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजी साक्ष्यों को पर्याप्त माना। न्यायालय के आदेश के बाद दोषी अपनी सजा के विरुद्ध उच्च न्यायालय में अपील कर सकते हैं।
इस मामले की पूरी क्रोनोलॉजी देखें तो सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने शुरुआती जांच के दौरान पाया कि भरत शर्मा व्यास और उनके सहयोगियों ने विभिन्न वित्तीय वर्षों में फर्जी वेतन, टीडीएस विवरण और आयकर रिटर्न दाखिल कर रिफंड का दावा किया था। जांच के बाद दर्ज हुए अभियोगपत्र में दो अलग-अलग वर्षों में किए गए रिफंड घोटाले का विवरण शामिल था। लंबे समय तक चली सुनवाई में सीबीआई ने आयकर विभाग की रिपोर्ट, रिफंड विवरण, हस्ताक्षर नमूने और रिकॉर्ड की तुलना कर अदालत के समक्ष साक्ष्य प्रस्तुत किए। कई बार तारीखें बदलने और दस्तावेजों के सत्यापन के कारण मामला लंबा चला, पर अंततः विशेष न्यायाधीश ने सभी प्रमुख बिंदुओं को प्रमाणित मानते हुए दोषसिद्धि दर्ज की। अदालत ने आदेश जारी करते हुए यह भी कहा कि टैक्स रिफंड प्रणाली का दुरुपयोग एक गंभीर आर्थिक अपराध है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
अदालत के फैसले के बाद सोशल मीडिया पर मामले की व्यापक प्रतिक्रिया देखने को मिली। भरत शर्मा व्यास के प्रशंसकों ने सजा को “कठोर” बताते हुए न्यायिक समीक्षा की मांग की, जबकि कई यूजर्स ने टैक्स धोखाधड़ी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का समर्थन किया। कुछ उपयोगकर्ताओं ने इस बात पर भी सवाल उठाए कि पुराने मामलों पर देर से मिलने वाले निर्णयों का प्रभाव क्या होता है। वहीं भोजपुरी संगीत जगत में भी इस खबर ने हलचल मचा दी, जहां कुछ कलाकारों ने इसे न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा बताते हुए टिप्पणी से परहेज किया, जबकि अन्य ने कहा कि सार्वजनिक जीवन से जुड़े लोगों को वित्तीय पारदर्शिता बनाए रखनी चाहिए। अदालत के फैसले के बाद यह मामला फिर से राष्ट्रीय चर्चा में है और आगामी अपील प्रक्रिया पर सभी की निगाहें टिक गई हैं।

