आत्म-कथन लेखन (एफर्मेशन व जर्नलिंग): आधुनिक युग में प्रासंगिकता
यह सच है कि दिन भर में प्रत्येक क्षण हमारे मस्तिष्क का चेतन मन हमसे उत्तेजनाएं प्राप्त करता है और फिर अंतर्निहित अवचेतन स्मृति का संदर्भ जोड़ कर अर्थ निर्धारित करने के लिए एक वैचारिक प्रतिक्रिया को सक्रिय करता है जो भावनाओं और संवेदनाओं का कारण बनती है और उसी के अनुरुप व्यक्ति व्यवहार करता है। हमारा पंचानवे प्रतिशत व्यवहार अवचेतन मन के द्वारा संचालित होता है, जो अतीत के अनुभवों और नकारात्मक विश्वासों से भरा रहता है। एफर्मेशन व जर्नलिंग लेखन की ऐसी तकनीक हैं जो इस अवचेतन मन से सीधा संवाद करके उसे नए सशक्त सकारात्मक ऊर्जा व विश्वासों द्वारा प्रोग्राम कर देता है। यह आत्म-संवाद एक प्रकार का विचारों का पुनर्निर्माण है। दोनों का समन्वय एक शक्तिशाली रूपांतरण का कारण बनता है। जर्नलिंग एक प्रामाणिक मार्गदर्शिका की तरह है, जो आपके मन के भीतर जमा भावनात्मक कचरा जैसे चिंता, डर, क्रोध आदि को बाहर निकालकर विचारों को शुद्ध यानि डिटाॅक्स करता है, जिससे तनाव कम होता है और नींद भी बेहतर आती है और एफर्मेशन में आप अपनी इच्छा को भविष्य में साकार करने के बीज बोते हैं। जर्नलिंग के माध्यम से आप अपने वर्तमान को तथा एफर्मेशन से आप अपने इच्छित लक्ष्यों को भविष्य के लिए संचालित कर पाते है। विचारों को एफर्मेशन के रूप में लिखना व जर्नल में उन पर अपनी प्रगति का आंकलन करने से आपकी बुद्धि उन्हें हासिल करने के रास्ते ढूंढने लगती है। नियमित रूप से अपनी भावनाओं को लिखने से आप जीवन को अलग व बेहतर नजरिए से देख पाते हैं। यह अभ्यास आपको लक्ष्य की स्पष्टता तो प्रदान करता ही है, साथ ही आपकी आत्म-जागरूकता और आत्म-विश्वास को भी बढ़ाता है। जर्नलिंग आपको अपने विचारों, भावनाओं और व्यवहार के पैटर्न को एक तटस्थ दृष्टि से देखने का अवसर देती है। इससे विवेक अपने आप बढ़ने लगता है और भावनात्मक बुद्धिमत्ता (इमोशनल कोशेन्ट) का निर्माण होता है। नियमित रूप से अपनी भावनाओं को लिखने और समझने से आप जीवन को अलग व बेहतर नजरिए से देख पाते हैं। जो जीवन की सफलता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इनसे संबंधित कुछ ध्यान देने योग्य बातें इस प्रकार हैं-
जर्नल कैसे लिखें?
*इसे लिखने का सबसे प्रभावी तरीका है बिना किसी फिल्टर या डर के, जो कुछ भी मन में आए उसे कागज पर उड़ेल देना। इसे ब्रेन डंपिंग कहते हैं।
*रोजाना कुछ उन चीजों को लिखें जिनके लिए आप आभारी हैं। यह अभ्यास आपके दिमाग का ध्यान "कमी" से हटाकर "प्रचुरता" की ओर ले जाता है, जिससे खुशी और संतुष्टि का स्तर बढ़ता है।
*अपने आप से प्रश्न पूछें। जैसे: "आज मैंने क्या सीखा?कौन-सी बात से मुझे आज खुशी हुई? क्या कोई ऐसा विचार है जो मुझे परेशान करता है? अपने लिए थोड़ा बेहतर मैं क्या कर सकता हूँ? आदि", यह अभ्यास सजगता बढ़ाने का सबसे शक्तिशाली माध्यम है।
एफर्मेशन कैसे लिखें?
*सामान्य विचारों की अपेक्षा व्यक्तिगत चुनौतियों और लक्ष्यों के अनुरूप एफर्मेशन बनाएँ। जैसे "मैं धैर्यपूर्वक और प्रभावी ढंग से अपनी टीम का मार्गदर्शन कर रहा हूँ," यह विचार "मैं एक अच्छा लीडर हूँ" से ज्यादा शक्तिशाली है।
*वर्तमान काल और सकारात्मक भाषा का प्रयोग करें जो मस्तिष्क को यह संकेत देता है कि यह बात अभी की सच्चाई है, भविष्य की इच्छा नहीं। अवचेतन मन समय को नहीं, बल्कि भावना का संवाद अधिक समझता है।
*केवल शब्द नहीं, उस एफर्मेशन के पीछे की भावना को महसूस करें। जैसे जब "मैं शांत हूँ" बोलें, तो अपने शरीर में शांति और एकाग्रता की अनुभूति को जगाएँ। स्वयं को दिए गए निर्देशों को दोहराएँ, हर बार उसके अर्थ को महसूस करें। इसे सुबह उठकर, शाम को सोने से पहले या दर्पण के सामने खड़े होकर बोलें।
एफर्मेशन और जर्नलिंग का अभ्यास, अपने आप से किया गया एक ईमानदार और नियमित संवाद है। यह कोई जादू की छड़ी नहीं, जो रातों-रात जीवन बदल दे, बल्कि एक ऐसी साधना है जो धीरे-धीरे आपके आंतरिक पटल को साकारात्मक रुप में बदल देती है। इन्हें दिनचर्या में शामिल करना, स्वयं का एक उत्तम व्यक्तित्व गढ़ने के समान है। जो जीवन के हर क्षेत्र में आपको सफलता, स्पष्टता और दिशा के साथ-साथ भौतिक व आत्मिक उन्नति भी प्रदान करता है।
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