विजयादशमी पर स्त्री शक्ति संगठन की नौ दिवसीय वैचारिक विजययात्रा सम्पन्न
नवरात्र के नौ दिन मातृत्व, नारीत्व और समाज के विविध आयामों पर हुआ गहन विमर्श
नई दिल्ली: संवाददाता प्रेरणा बुड़ाकोटी: विजयादशमी के पावन अवसर पर स्त्री शक्ति संगठन की मुख्य अध्यक्षा ममता शर्मा के नेतृत्व में आयोजित नवरात्र मातृ वंदन कार्यक्रम का समापन भव्य रूप से हुआ। नौ दिनों तक चला यह आयोजन नारी सशक्तिकरण, मातृत्व, शिक्षा, कला, राजनीति, अर्थव्यवस्था और सामाजिक चेतना पर केंद्रित एक वैचारिक साधना बना, जिसने समाज में नई सोच और जागरूकता का संचार किया।
इस विशेष कार्यक्रम में प्रत्येक दिन को एक विषय को समर्पित किया गया — कभी साहित्य और स्त्री विमर्श, तो कभी शिक्षा, स्वास्थ्य, मातृत्व और अधिकारों पर गहन चर्चा हुई। यह आयोजन केवल एक धार्मिक या सांस्कृतिक उत्सव नहीं, बल्कि ‘नारी विचारों का यज्ञ’ साबित हुआ, जिसमें प्रत्येक सहभागी ने अपने अनुभव और दृष्टिकोण से इसे पूर्णता दी।
22 सितंबर को कार्यक्रम की शुरुआत साहित्य, स्त्री विमर्श और समाज विषय पर हुई, जिसमें नारी की लेखनी को सामाजिक परिवर्तन की धुरी के रूप में देखा गया। 23 सितंबर को शिक्षा के विविध स्तरों पर विचार हुआ, जबकि 24 सितंबर को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य विषय पर माताओं की भूमिका एक हीलर के रूप में सामने आई।
25 सितंबर को मातृत्व और बाल देखभाल पर चर्चा करते हुए कहा गया कि माताएं केवल जन्मदात्री नहीं, बल्कि संस्कारदात्री भी हैं। 26 सितंबर को विधान, अधिकार और कर्तव्य विषय पर महिलाओं की संवैधानिक जागरूकता को सशक्त बनाने का संकल्प लिया गया।
27 सितंबर को राजनीति में महिलाओं की भागीदारी पर चर्चा हुई, जहां मातृशक्ति को नीति-निर्माण की धुरी के रूप में देखा गया। 28 सितंबर को अर्थव्यवस्था और रोजगार विषय पर महिलाओं को आत्मनिर्भर भारत की प्रेरक शक्ति बताया गया। 29 सितंबर को कला और कृत्रिम कला पर विमर्श के दौरान माताओं की रचनात्मकता को सराहा गया।
30 सितंबर को मीडिया और सोशल मीडिया की शक्ति पर चर्चा करते हुए महिलाओं को विचार और जनमत निर्माण की वाहक के रूप में पहचाना गया।
1 अक्टूबर को सांझी पूजा और नौ दिन की यात्रा पर मन मंथन हुआ, जबकि 2 अक्टूबर को विजयादशमी के दिन इस विचार यात्रा का समापन हुआ।
कार्यक्रम के समापन अवसर पर ममता शर्मा ने कहा —
“यह केवल चर्चा नहीं, बल्कि मातृशक्ति के जागरण का आंदोलन है। आने वाले समय में यह संवाद एक अभियान बनेगा — नारी सम्मान, सशक्तिकरण और सामाजिक पुनर्निर्माण का अभियान।”
समापन अवसर पर बड़ी संख्या में समाजसेवी, शिक्षिका, कलाकार और महिला प्रतिनिधि मौजूद रहीं। आयोजन के दौरान प्रस्तुतियों, विचार गोष्ठियों और भक्ति संगीत ने पूरे माहौल को भक्ति और बौद्धिक ऊर्जा से भर दिया।
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